जसपाल सिंह,खबर सच है संवाददाता ऊधमसिंह नगर
रुद्रपुर। सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर में गणित दिवस के उपलक्ष में भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन को उनकी जयंती पर याद करके राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया। 22 दिसंबर 1887 में जन्मे रामानुजन किस तरह एक गरीब परिवार से निकल कर दुनिया में अपने संख्या सिद्धांत से प्रभावित करने वाले गणितज्ञ कैसे बनें, इस पर स्नातक और स्नातकोत्तर के गणित के छात्र छात्राओं ने नाटक के प्रस्तुतिकरण से और उनके जीवनी पर आधारित जीवनी पर अपने अपने विचार रखे।
बीएससी प्रथम सेमेस्टर के छात्र हर्ष जोशी के द्वारा रामानुजन के संपूर्ण जीवन के संघर्षों से सभी को अवगत करवाया, मानस टम्टा के द्वारा रामानुजन के अनुसंधान पर प्रकाश डाला, बीएससी तृतीय सेमेस्टर की छात्रा कन्नू प्रिया दानू और बीएससी प्रथम सेमेस्टर की छात्रा ने विशाखा के द्वारा प्रो हार्डी के साथ किस तरह रामानुजन का सफर रहा इस से सभी को अवगत करवाया। इसके साथ ही छात्र छात्राओं ने नाटक की प्रस्तुतिकरण की गई जिस में उनके परिवार से लेकर शिक्षकों के पात्र बन कर नहीं रामानुजन के जीवन को सरलता से समझने हेतु हर्ष जोशी, पूनम, तनुश्री, गरिमा, ज्योति, प्रांजल, करिश्मा, और शशि ने अभिनय कर रामानुजन के जीवन को स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहें बीएससी प्रथम के छात्र चंद्रेश ने छात्र छात्राओं को रामानुजन पर बनी फिल्मों जिनमे “द मैन हू लव्ड नंबर”, “द मैन हु न्यू इंफिनाइट”, “रामानुजन अन इंडो ब्रिटिश कॉलिब्रेशन”, इंडियन डॉक्यूमेंट्री फिल्म में रामानुजन के कार्यों को किस तरह संपूर्ण विश्व को बताया इस बारे में सभी को बताया। गणित विभाग के प्राध्यापक डॉ सुरेंद्र विक्रम सिंह पड़ियार ने प्राचीन भारतीय गणितज्ञों के बारे में बता कर रामानुजन के संघर्षों और हार्डी के साथ उनके शोध ग्रंथो के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए पूरे जीवन में उनकी उपलब्धियों के बारे में छात्र छात्राओं को उनके संख्या सिद्धांतो से अवगत करवाया और साथ की किस प्रकार उन्होंने जार्ज शुब्रीज कार की सिनॉप्सिस ऑफ प्यूअर मैथमेटिक्स से अपने गणितीय कार्य को आगे बढ़ाया इस से अवगत करवाया। डॉ पडियार ने बताया कि जिन वैज्ञानिको के अनुसंधान की उपयोगिता जल्दी बन गई उन्हे विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल कर लिया गया जिस कारण सभी विद्यार्थी और आम नागरिक को उनके बारे में जानने के लिए पर्याप्त साहित्य उपलब्ध था, परंतु विशुद्ध विज्ञान में उनकी उपयोगिता साबित करना इतना आसान नहीं होता। जिस कारण सबसे जटिल अनुसंधान करके भी कई लोगो का उतना नाम नही होता, जिसके वो हकदार होते है। इस प्रकार ही विशुद्ध गणित के कार्य में रामानुजन के अनुसंधान की उपयोगिता साबित कर पाना इतना जटिल हो गया की विश्व के कई गणितज्ञ इस पर अभी भी अनुसंधान कर रहे है ये कहना आसान नही की रामानुजन गणितज्ञों के गणितज्ञ थे और उनके सभी अनुसंधान की उपयोगिता सरल तरह से तलाश पाना बहुत मुश्किल कार्य है। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर
डॉ राघवेंद्र मिश्रा ने छात्र छात्राओं को रामानुजन के जीवन से प्रेरणा लेकर जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोसाहित किया, विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमिता चोरासिया ने छात्र छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए रामानुजन के द्वारा गणित के क्षेत्र में किए गए योगदान का वर्णन कर उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।