खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी। भाकपा (माले) ने कहा है कि, “विधानसभा चुनाव में सबको मुफ्त राशन का वादा करके वोट लेने के बाद भाजपा अब राशनकार्डों को निरस्त करवा रही है। यह देश के नागरिकों के साथ खुला धोखा है।”
‘माले’ के नैनीताल जिला सचिव कामरेड डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “भाजपा ने चुनाव घोषणापत्र में गरीब आम जनता से फ्री राशन के बदले वोट लेने का अघोषित दांव चला और अब चुनाव बाद अपात्र बताकर राशनकार्ड निरस्त करवा रहे हैं। यही नहीं राशनकार्ड निरस्त न करवाने पर जुर्माना भी लगाने के आदेश जारी किए गए हैं। भाजपा द्वारा बहाना बनाया जा रहा है कि कोरोना काल में ज्यादा राशनकार्ड बन गए। सवाल है कि राशन कार्ड बनाये किसने और वे चुनाव बाद अवैध कैसे हो गए?”
भाकपा (माले) जिला सचिव ने कहा कि, “भीषण गर्मी और विपरीत मौसम की चपेट में आने से गेहूं की पैदावार पहले ही कम हुई है और इसके चलते किसानों से गेंहू की सरकारी खरीद नाममात्र की हुई है और सरकारी गोदामों में गेहूं की उपलब्धता घट गई है। इससे राशन की दुकानों से अनाज वितरण प्रभावित हुआ है। पांच किलो प्रति व्यक्ति व 35 किलो प्रति अंत्योदय परिवार के कोटे में गेहूं की मात्रा भी घटा दी गयी है। यही हाल रहा तो कोटे के राशन का भी वही हाल होगा जो गैस सिलेंडर की सब्सिडी का हुआ है।” माले नेता ने कहा कि, “खाद्य सुरक्षा हरेक को मिलनी चाहिए। खाद्य सुरक्षा सार्वभौमिक होनी चाहिए। लिहाजा राशनकार्ड हरेक परिवार का अधिकार है। कोरोना महामारी से उपजे संकट के बाद रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है ऐसे में आपदा में अवसर की रणनीति का पालन करते हुए मोदी सरकार ने जिस तरह गरीबों के मुँह का निवाला तक छीनने की नीति बनायी है यह बेहद शर्मनाक है। अभी तो जरूरत इस बात की थी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार करके सभी गरीबों और बेरोजगारों को उसमें शामिल किया जाता लेकिन इसके ठीक विपरीत मोदी सरकार गरीब विरोधी राशन प्रणाली लागू कर रही है। और इससे गरीबों- बेरोजगारों का ध्यान बंटाने के लिए काशी और मथुरा का साम्प्रदायिक कार्ड खेला जा रहा है। ये सब बंद होना चाहिए और सभी गरीबों, बेरोजगारों, मजदूरों, अल्पकालिक काम करने वालों, ठेका- संविदा- मानदेय- पारिश्रमिक आधारित कामगारों को खाद्य सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करने का काम सरकारों को करना चाहिए।