खबर सच है संवाददाता
नई दिल्ली। देशभर के हजारों बेरोजगार युवाओं को वर्क फ्रॉम होम नौकरी देने के नाम पर करोड़ों रुपयों की ठगी करने का मामला सामने आया है। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस संबंध में एक युवती समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान रोहित कुमार (23), मोहित सिंह (25), तरुण कुमार (25) और वंदना (23) (बदला हुआ नाम) के रूप में हुई है। इन लोगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर पहले युवाओं को अपने जाल में फंसाया।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट बनाई हुई थी। वेबसाइट पर दावा किया गया था कि इन वेबसाइट के जरिये घर पर बैठकर ही काम करके मोटा पैसा कमाया जा सकता है। जैसे ही युवा इनके जाल में फंसते थे तो आरोपी इनको डराकर जबरन वसूली करते थे। मामले की जांच के लिए फौरन इंस्पेक्टर सज्जन सिंह, एसआई धर्मेंद्र कुमार व अन्यों की टीम बनाई गई।
चारों आरोपियों को दिल्ली के मोहन गार्डन और मायापुरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। शुरुआती छानबीन के दौरान पता चला कि इन लोगों ने देशभर के करीब 500 से अधिक युवाओं से करोड़ों की ठगी की है। माना जा रहा है कि इन लोगों ने देशभर के हजारों नौजवानों को चूना लगाया है। पुलिस इनके बैंक खातों का पता कर रही है।जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि रोहित कुमार गैंग का लीडर है। उसने ही फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी की शुरुआत की। उसने बैंक खातों का इंतजाम किया। इसके अलावा वह खुद ही टीम लीडर बनकर फर्जी कॉल सेंटर भी चला रहा था। बाकी गिरफ्तार की तीनों आरोपी टेलीकॉलर हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले में कई अन्य लोग शामिल हैं। उनकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी की जा रही है।बताते चलें कि कोविड कॉल में लॉकडाउन के दौरान देशभर के काफी लोगों की नौकरी चली गई। ऐसे में लोगों ने वर्क फ्रॉम होम काम देखना शुरू कर दिया। आरोपियों ने इसका फायदा उठाकर फर्जी वेबसाइट बना ली। नौकरी दिलवाने वाली साइटों से डाटा खरीदकर आरोपी उन युवाओं से संपर्क भी करते थे। इसके अलावा कई बार युवा खुद ही इनकी वेबसाइट पर आ जाते थे। शुरुआत में पीड़ितों से उनका आधार, पैन कार्ड व अन्य दस्तावेज मांगा जाता था। इसके बाद ऑन लाइन की चोरी से एक एग्रीमेंट साइन कराया जाता था। सारा काम टारगेट के अनुसार ही करना है। यदि टारगेट पूरा नहीं हुआ तो मामूली फाइन देना होगा। बाद में काम के नाम पर पीड़ित युवाओं का ऐसा टारगेट दिया जाता था कि जो कभी पूरा नहीं होता था। इसके बाद एग्रीमेंट के नाम पर कोर्ट कचहरी का डर दिखाकर युवाओं से अपने खाते में पांच से 10 हजार, 15 से 20 हजार रुपये तक वसूल लिये जाते थे। यदि कोई आरोपियों को जुर्माने के रुपये देने से इंकार करता था तो आरोपी फर्जी वकील बनकर उनके पास कॉल करते थे। उनको कोर्ट के नोटिस का डर दिखाया जाता था। इसके अलावा पुलिसकर्मी बनकर आरोपी थाने में उनके शिकायत आने की धमकी देते थे।