खबर सच है संवाददाता
नैनीताल। शोध, प्रौद्योगिकी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके विश्वविद्यालय की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाना है। आने वाला समय प्रतिस्पर्धा का है। ऐसे में गुणवत्ता पर ध्यान रखा जाना जरूरी है। साथ ही विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच के प्रसार को बढ़ावा देते हुए देश के लिए अच्छे नागरिक तैयार करना है। उपरोक्त शब्द विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में मा० कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने सोमवार (आज) प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए कहें।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान का विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पहुँचने पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों द्वारा पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत-अभिनन्दन किया गया। इस दौरान कुलपति ने प्रशासनिक भवन में सभी निदेशकों एवं संकायाध्यक्षों से विश्वविद्यालय की प्रगति के संदर्भ में वार्ता की। तत्पश्चात प्रिंट मीडिया से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की ओर प्रोत्साहित किया जाएगा। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाए जाने के लिए हमें विभिन्न स्तरों में कार्य किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए उनके द्वारा विश्वविद्यालय के नियमानुसार हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। विश्वविद्यालय एवं व्यापक छात्र-हित में मिलकर काम किया जाएगा, साथ ही विश्वविद्यालय को NAAC द्वारा A++ ग्रेड दिलवाले हेतु प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्रों की जो भी समस्याएं होंगी, उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस सन्दर्भ में उनके द्वारा सभी निदेशकों एवं संकायाध्यक्षों से संभावित समाधान के लिए सुझाव भी मांगे हैं। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता हासिल करने के प्रयासों की दिशा में प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्रों को नए अवसर व मंच उपलब्ध कराने के लिए वे प्रतिबद्ध है। अंत में डीएसबी परिसर के एएन सिंह हॉल में समस्त प्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए विद्यार्थियों के हित को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि बतौर शिक्षक-गुरु हमें विद्यार्थियों तथा विश्वविद्यालय के लिए हमारे समर्पण व प्रतिबद्धता के लिए ही याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की छवि इस बात से सीधे प्रभावित होती है कि वहां के विद्यार्थियों को कैसा अनुभव प्राप्त होता है। कुमाऊं विश्वविद्यालय की विरासत अत्यंत गौरवपूर्ण हैं। इस विश्वविद्यालय ने निकली प्रतिभाओं ने अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम करते हुए विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया है। अपने कर्तव्यों का ईमानदारी व निष्ठापूर्वक तरीके से निर्वहन कर इस विरासत को आगे ले जाना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। ज्ञात हो कि कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति प्रो० एन के जोशी का श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर चयन होने से कुलाधिपति और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) द्वारा जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० मनमोहन सिंह चौहान को कुविवि नैनीताल के कुलपति का अतिरिक्त दायित्व प्रदान किया गया है। कुलपति डॉ० मनमोहन सिंह चौहान इससे पूर्व नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (हरियाणा) के निदेशक/कुलपति रह चुके हैं। कुलपति डॉ चौहान ने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने भ्रूण स्टेम सेल प्रौद्योगिकी विकसित की और पांच भ्रूण भैंस स्टेम सेल लाइनों और दो शुक्राणुजन्य स्टेम सेल लाइनों को विकसित करने सहित मवेशियों और याक में डिंब पिकअप-आईवीएफ तकनीक और भारत का पहला ओपीयू-आईवीएफ साहीवाल बछड़ा ‘होली’ और ओपीयू-आईवीएफ याक बछड़ा ‘नोर्ग्याल’ उत्पादित किया है। कुलपति डॉ० चौहान ने भैंस में एक सरल हाथ निर्देशित क्लोनिंग तकनीक विकसित करने सहित 27 क्लोन भैंसों का उत्पादन भी किया है। साथ ही दुनिया का पहला क्लोन भैंस बछड़ा गरिमा का उत्पादन किया और हाल ही में 16 मार्च 2023 को गंगा नाम की गिर गाय की क्लोन बछड़ी इनके नेतृत्व में एनडीआरआई करनाल में पैदा की गई। कुलपति डॉ चौहान भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय डेयरी विज्ञान अकादमी व सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन के फेलो हैं। आपको आईसीएआर से 2015 में रफी अहमद किदवई पुरस्कार, 2020 में डॉ पी भट्टाचार्य मेमोरियल अवार्ड, 2019 में राव बहादुर बी विश्वनाथ पुरस्कार, कृषि विज्ञान में वासविक औद्योगिक पुरस्कार, 2015 में पशु विज्ञान में आईसीएआर-टीम पुरस्कार, डॉ लाभसेटवार पुरस्कार, डीबीटी बायोटेक्नोलॉजी ओवरसीज फेलोशिप अवार्ड, 1997 में डेयरी साइंस में अनुकरणीय अनुसंधान पुरस्कार, 2009 में यूरोपीय इरास्मस मुंडस छात्रवृत्ति पुरस्कार प्राप्त हुआ है। आप एनएएएस अकादमी के कार्यकारी परिषद सदस्य, 2021 में टास्क फोर्स के सदस्य बनने के साथ ही आपने डीबीटी सरकार व भारत के दो डीजी आईसीएआर से प्रशंसा पत्र प्राप्त किए हैं।