मनोज कुमार पाण्डे (संपादक) “खबर सच है”
यह कहने में कतई संकोच नहीं कि वर्तमान में पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख ब्यवसाय बन गया है। विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने को बना मीडिया जो चौथे स्तम्भ के रूप में जाना जाता है, आज जहा इसके सकारात्मक प्रभाव में अभिवृद्दि हुई है वही नकारात्मक प्रभाव भी उभर कर सामने आ रहे है।
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मीडिया ने जहाँ जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है, वहीं लालच, भय, द्वेष, स्पर्द्धा, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित भी किया है। व्यक्तिगत या संस्थागत निहित स्वार्थों के लिये यलो जर्नलिज़्म को अपनाना, ब्लैकमेल द्वारा दूसरों का शोषण करना, चटपटी खबरों को तवज्जों देना और खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, दंगे भड़काने वाली खबरे प्रकाशित करना, घटनाओं एवं कथनों को द्विअर्थी रूप प्रदान करना, भय या लालच में सत्तारूढ़ दल की चापलूसी करना, अनावश्यक रूप से किसी की प्रशंसा और महिमामंडन करना और किसी दूसरे की आलोचना करना जैसे अनेक अनुचित कार्य आजकल मीडिया द्वारा किये जा रहे हैं। दुर्घटना एवं संवेदनशील मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, ईमानदारी, नैतिकता, कर्त्तव्यनिष्ठा और साहस से’ संबंधित खबरों को नजरअंदाज करना आजकल मीडिया का एक सामान्य लक्षण हो गया है। मीडिया के इस व्यवहार से समाज में अव्यवस्था और असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।
बहरहाल मीडिया कही सामाजिक एवं चारित्रिक पतन का कारण न बन जाए इसलिए पत्रकारिता को फिर से अपनी शक्ति का सदुपयोग जनहित में करते हुए समाज का मार्गदर्शन करने की जरूरत है।
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