खबर सच है संवाददाता
धारचूला। ग्राम पंचायत जयकोट की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गुलाब की खेती से उत्तराखंड को महकाने के लिए जी जान से जुटी हुई है। अच्छी खबर यह है कि जिले को अब बाहरी राज्य तथा जिलों से गुलाब के पौधे नहीं लाने पड़ेंगे। इसके लिए नर्सरी तैयार कर ली गई है।जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने जयकोट गांव पहुंचकर इस कार्य में लगी महिलाओं का हौसला बढ़ाया और कहा कि यह हिमांचल जैसा रोजगार परक राज्य बनने की ओर एक छोटी सी पहल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जयकोट ग्राम पंचायत को गुलाब की खेती के लिए चयनित किया गया था। ग्रामीण विकास विभाग की एन आर एल एम प्रोजेक्ट के तहत इस गांव की 7 महिला स्वयं सहायता समूह को गुलाब की खेती के लिए जिम्मेदारी दी गई। देहरादून तथा हिमाचल से गुलाब के पौध लाकर इस गांव में रोपे गए थे। आज गुलाब के पौधे तैयार होकर गुलाब से मिलने वाले लाभ को देने के लिए परिपक्व हो चुके है। ग्राम पंचायत जयकोट की 7 महिला समूह से जुड़ी 63 से अधिक महिलाएं गुलाब की खेती में अपने रोजगार के भविष्य को सजा एवं संवार रही है। इस गांव में 4 साल पहले लगायी गये गुलाब के पौधे अब नर्सरी के लिए तैयार हो गए है। यहां दो पाली हाउस भी लगाए गए है। जिन पाली हाउसों में गुलाब की कलम काटकर नर्सरी तैयार की जा रही है। इस तरह का रोजगार करने वालों के लिए यह अच्छी खबर है कि अपने जनपद को अब नये पौंध के लिए अन्य राज्यों के आगे हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं होगी। गुलाब की खेती को उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में वरदान घोषित किया गया है। गुलाब जल ₹100 लीटर स्थानीय बाजार में हाथों हाथ बिक रहा है। हालांकि अभी सरकार की ओर से गुलाब जल को बेचने के लिए कोई बाजार की व्यवस्था नहीं की गई है। इस गांव में गुलाब जल निकालने के लिए दो मशीनें भी आई हुई है। इन मशीनों का उपयोग कर महिलाएं स्वयं गुलाब जल निकालती है।
जयकोट के किसान वीर सिंह बडाल ने बताया कि सरकार अगर कुछ मदद कर दे तो हम गुलाब से रोजगार ही नहीं अपने गांव को समृद्ध बना सकते हैं। गुलाब की खेती कर रही गौरी बड़ाल, नारायणी देवी जोशी, बिंद्रा देवी बड़ाल, माना देवी बड़ाल का कहना है कि गुलाब की खेती महिलाओ के स्वरोजगार के क्षेत्र में एक नया कदम है। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने गुलाब की खेती के तकनीकी तथा अन्य परेशानियों के संदर्भ में लोगों से जानकारी लेते हुए बताया कि धारचूला तथा मुनस्यारी के गांव को गुलाब की खेती के लिए विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में वह पिथौरागढ़ जाकर जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान एवं उत्तराखंड पादप बोर्ड से भी बातचीत कर इस खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव रखा जायेगा।