जंग तो चिकित्सकों ने लड़ी, हमने तो सिर्फ निर्देशो के साथ होंसला रखा।

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मनोज कुमार पाण्डे – सम्पादक “खबर सच है”

कोरोना से बाहर आए लोगो को मैने अक्सर यह कहते सुना है कि “जंग जीत आए..” लेकिन मुझे तो लगता है कि असल हीरो हमारे चिकित्सको द्वारा हमारे लिए युद्घ स्तर की कोशिश “जंग” से हम सकुशल सुरक्षित हो पाए।
18 अप्रैल को सामान्य से लक्षणों ‘खाँसी एवं ‘हल्के बुखार’ की शुरुआत फिर पल्स आक्सिमिटर में ऑक्सीजन का स्तर 77-78 दर्शाना। मानवीय स्वभाव है लिहाजा घबराहट लाजमी है। पूर्व से परिचित एवं करीबी मेरे मित्र विषय विशेषज्ञ डॉ गौरव सिंघल से सम्पर्क किया। डॉ गौरव द्वारा शीघ्र ही एक्सरे करवाने पर पता चलता है कि कोरोना का संक्रमण हो चुका है, ऐतिहातन आरटीपीसीआर करवाया तो स्पष्ट हो गया.. । हर रोज जब असमय किसी न किसी का अपनों को छोड़ कर जाने की खबरें सुनाई देती हो और फिर कारण स्वयं के साथ भी हो तो…..समझ आता है…

“हम ज़िन्दगी भर ज़मीनों की कीमत पर इतराते रहें
हवां ने जब अपनी क़ीमत मांगी तो ख़रीदी हुई जमीनें बीक गई..”

इष्टमित्रों व परिजनों का भी भयभीत होना स्वभाविक था.. निर्देश हुआ और सीटी स्कैन करवाया, तो पता चला एक तो करेला उप्पर से नीम चढ़ा.. मतलब कोरोना का संक्रमण और उस पर 70% फेफड़ा निमोनिया से संक्रमित…

“वहम है की प्रेम के लिए
मजबूर है हम
असल मे हमें
वो स्पर्श
वो साथ
चाहिए होता हैं
जो हमारे अकेलेपन में
हमे इत्मिनान से सुन सके
भरोसा दिला सके कि
वह हमारे साथ हैं,
उन पलों में भी
जब दुनिया हमें
अकेला छोड़ देगी..”


कहते है न कि मुश्किल वक्त में ही अपनी हैसियत का अंदाजा होता है और यहां एहसास हुआ कि हम अकेले नहीं…। सुबह से लेकर शाम तक लगातार कई मित्रों के फोन कुशल क्षेम को आते। शासन/प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही जन प्रतिनिधियों ने भी सहयोग की बात कर हौशला बढ़ाया.. महापौर डॉ जोगिंदर पाल सिंह रौतेला जी ने हर सम्भव सहयोग के साथ ऑक्सीजन सिलेण्डर दिलवाने में भी सहयोग को कहा…।
एक तरफ वो जो आवश्यक संशाधनों जैसे चिकित्सकीय परामर्श व दवा आदि के अभाव में दम तोड़ रहे और यहां मै असामान्य सुविधाओं से स्वयं की सुरक्षा का दंभ भरूँ… शायद अनुचित होगा। हालांकि परिवार के सहयोग, पित्रों/बढ़े बुजुर्गो एवं प्रभु के आशीर्वाद से मै तो वह खुशनसीब हूँ जिसे एक नहीं तीन-तीन चिकित्सकों (डॉ गौरव सिंघल, डॉ नीलाम्बर भट्ट एवं डॉ आशुतोष पन्त) का परामर्श एवं संरक्षण प्राप्त हो रहा था…निश्चय किया कि सीमित संसाधनों में ही महामारी से बाहर आना है। लिहाजा आवश्यक दवाएं के साथ स्वशन सम्बन्धी प्राकर्तिक क्रियाओं को प्रारम्भ किया। ऑक्सीजन के लिए बेवजह मारामारी और चिकित्सालय में ही जीवन सुरक्षित होगा, यह सोच को दिमाग से निकाल कर यदि प्रबल मनोस्थिति के साथ सही दिशा में प्रयास किया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं। तीन-तीन टाइम गुनगुने पानी का गरारा, भांप लेना, पौष्टिक भोजन एवं साथ ही भारत की प्रमुख मल्टी लेबल मार्केटिंग कम्पनी ‘मोदी केयर’ के (तुलसी,लहसुन एवं हल्दी) हर्बल सप्लीमेंट्स का नियमित सेवन और अन्तोगत्वा परिणाम सामने है। अब तैयारी है निश्चित अवधि के बाद प्लाज्मा डोनेट कर कोरोना संक्रमित लोगों की मदद की।

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