17 अगस्त बलिदान-दिवस वजीर रामसिंह पठानिया

ख़बर शेयर करें -


प्रस्तुति – नवीन चन्द्र पोखरियाल खबर सच है संवाददाता

अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध भारत के चप्पे-चप्पे पर वीरों ने संग्राम किया है। हिमाचल प्रदेश की नूरपूर रियासत के वजीर रामसिंह पठानिया ने 1848 में ही स्वतन्त्रता का बिगुल फूँक दिया था। इनका जन्म वजीर शामसिंह एवं इन्दौरी देवी के घर 1824 में हुआ था। पिता के बाद इन्होंने 1848 में वजीर का पद सम्भाला। उस समय रियासत के राजा वीरसिंह का देहान्त हो चुका था। उनका बेटा जसवन्त सिंह केवल दस साल का था। अंग्रेजों ने जसवन्त सिंह को नाबालिग बताकर राजा मानने से इन्कार कर दिया तथा उसकी 20,000 रु. वार्षिक पेन्शन निर्धारित कर दी। इस पर रामसिंह बौखला गये। उन्होंने जम्मू से मनहास, जसवाँ से जसरोटिये, अपने क्षेत्र से पठानिये और कटोच राजपूतों को एकत्र किया। पंजाब से सरनाचन्द 500 हरिचन्द राजपूतों को ले आया। 14 अगस्त, 1848 की रात में सबने शाहपुर कण्डी दुर्ग पर हमला बोल दिया। वह दुर्ग उस समय अंग्रेजों के अधिकार में था। भारी मारकाट के बाद 15 अगस्त को रामसिंह ने अंग्रेजी सेना को खदेड़कर दुर्ग पर अपना झण्डा लहरा दिया।

यह भी पढ़े

https://khabarsachhai.com/2021/08/15/shobha-a-10th-student-forced-to-work-as-a-horse/

इसके बाद रामसिंह ने सब ओर ढोल पिटवाकर मुनादी करवाई कि नूरपूर रियासत से अंग्रेजी राज्य समाप्त हो गया है। रियासत का राजा जसवन्त सिंह है और मैं उनका वजीर। इस घोषणा से पहाड़ी राजाओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी। वे सब भी रामसिंह के झण्डे के नीचे आने लगे; लेकिन अंग्रेजों ने और रसद लेकर फिर से दुर्ग पर धावा बोल दिया। शस्त्रास्त्र के अभाव में रामसिंह को दुर्ग छोड़ना पड़ा; पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे पंजाब के रास्ते गुजरात गये और रसूल के कमाण्डर से 1,000 सिख सैनिक और रसद लेकर लौटे। इनकी सहायता से उन्होंने फिर से दुर्ग पर अधिकार कर लिया। अंग्रेजी सेना पठानकोट भाग गयी। यह सुनकर जसवाँ, दातारपुर, कांगड़ा तथा ऊना के शासकों ने भी स्वयं को स्वतन्त्र घोषित कर दिया; पर अंग्रेज भी कम नहीं थे, उन्होंने कोलकाता से कुमुक बुलाकर फिर हमला किया। रामसिंह पठानिया को एक बार फिर दुर्ग छोड़ना पड़ा। उन्होंने राजा शेरसिंह के 500 वीर सैनिकों की सहायता से ‘डल्ले की धार’ पर मोर्चा बाँधा। अंग्रेजों ने ‘कुमणी दे बैल’ में डेरा डाल दिया।

Join our whatsapp group

https://chat.whatsapp.com/GNmgVoC0SrIJYNxO5zGt0F

Join our telegram channel:

https://t.me/joinchat/YsCEm7LVdWtiYzE1

दोनों दलों में मुकेसर और मरीकोट के जंगलों में भीषण युद्ध हुआ। रामसिंह पठानिया की ‘चण्डी’ नामक तलवार 25 सेर वजन की थी। उसे लेकर वे जिधर घूमते, उधर ही अंग्रेजों का सफाया हो जाता। भीषण युद्ध का समाचार कोलकाता पहुँचा, तो ब्रिगेडियर व्हीलर के नेतृत्व में नयी सेना आ गयी। अब रामसिंह चारों ओर से घिर गये। ब्रिटिश रानी विक्टोरिया का भतीजा जॉन पील पुरस्कार पाने के लिए स्वयं ही रामसिंह को पकड़ने बढ़ा; पर चण्डी के एक वार से वह धराशायी हो गया। अब कई अंग्रेजों ने मिलकर षड्यन्त्रपूर्वक घायल वीर रामसिंह को पकड़ लिया। उन पर फौजी अदालत में मुकदमा चलाकर आजीवन कारावास के लिए पहले सिंगापुर और फिर रंगून भेज दिया गया। रंगून की जेल में ही मातृभूमि को याद करते हुए उन्होंने 17 अगस्त, 1849 को अपने प्राण त्याग दिये। ‘डल्ले की धार’ पर लगा शिलालेख आज भी उस वीर की याद दिलाता है। नूरपुर के जनमानस में इनकी वीरगाथा ‘रामसिंह पठानिया की वार’ के नाम से गायी जाती है।

हमारे पोर्टल में विज्ञापन एवं समाचार  के लिए कृपया हमें   [email protected]  ईमेल करें  या 91-9719566787 पर संपर्क करें।

विज्ञापन

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 हमारे समाचार ग्रुप (WhatsApp) से जुड़ें

👉 हमसे फेसबुक पर जुड़ने के लिए पेज़ को लाइक करें

👉 ख़बर सच है से टेलीग्राम (Telegram) पर जुड़ें

👉 हमारे पोर्टल में विज्ञापन एवं समाचार के लिए कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें या +91 97195 66787 पर संपर्क करें।

TAGS: wazir ramsingh pathania

More Stories

सप्ताह विशेष

इंस्टाग्राम पर 30 लाख से अधिक लाइक्स के साथ वायरल फोटो, जिसमें फ्रूटी के लिए चश्मा लौटा दिया बंदर ने 

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें -खबर सच है संवाददाता बंदरों को चंचल और शरारती के रूप में जाना जाता है और इसका एक उदाहरण फिर से देखने को मिला जब एक बंदर एक व्यक्ति का चश्मा लेकर भाग गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक उल्लासित वीडियो में, एक बंदर को पौधे के पिंजरे पर हाथ […]

Read More
सप्ताह विशेष

प्रेरणादायक व्यक्तित्व जिसनें देश और समाज हित के लिए त्याग कर दिया सुविधाओं का

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें – खबर सच है संवाददाता समय बदला और साथ-साथ राजनीति की तस्वीर भी बदल गई। पहले कर्मठ और ईमानदार जनसेवक जनता का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन आज निहित स्वार्थों के लिए राजनीतिक प्रतिद्वंदिता चल रही है। छात्र संघ से लेकर सांसद व विधायकी तक, धन-बल के साथ खड़े नेता सिद्दांतों की तिलांजलि देकर […]

Read More
सप्ताह विशेष

घर की उत्तर दिशा होती है लाभदायी, इन चीजों को रखने से होती है धन-संपदा में वृद्धि

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें –  खबर सच है संवाददाता वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व है. घर में रखी कोई भी चीज तब तक फायदेमंद नहीं होती, जब तक वे सही दिशा और सही जगह न रखी गई हो. वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा कुबेर देवता की दिशा मानी जाती है. कहते हैं कि इस […]

Read More