खबर सच है संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड में धार्मिक आयोजनों को लेकर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। बिना इजाजत धार्मिक जुलूस, शोभायात्रा निकालने पर आयोजकों पर मुकदमा दर्ज होगा और उपद्रव करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। गृह विभाग ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को यह निर्देश जारी किए हैं।
- बाहर से आकर उत्तराखंड में रहने वाले अराजक तत्वों की पहचान .
- संवेदनशील क्षेत्रों में तत्काल शांति समितियां सक्रिय की जाएं.
- तनाव वाले क्षेत्रों में जुलूस और धार्मिक आयोजनों में अतिरिक्त बल की तैनाती .
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल से अफवाहों का खंडन किया जाए.
- अराजक तत्वों की पहचान कर तत्काल कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए.
देश के कई हिस्सों में बीते सप्ताह धार्मिक समारोह के चलते टकराव के हालात देखने को मिले। उत्तराखंड में रुड़की के भगवानपुर में भी शोभायात्रा के दौरान बवाल हो गया था। सरकार के पास लगातार समुदायों के बीच तनाव की खबरें भी आ रही हैं। इसके चलते धार्मिक आयोजन टकराव का कारण न बनें, इसके लिए गृह विभाग ने पुलिस को ऐसे समारोहों पर सख्ती से नजर रखने को कहा है।
प्रदेश में पहले ही तयशुदा धार्मिक परिसरों से बाहर धार्मिक जुलूस, समारोह के लिए प्रशासन से अनुमति लेने का प्रावधान है। इसमें आयोजन का स्थान, मार्ग, भाग लेने वालों की संख्या का विवरण तय रहता है। गृह विभाग ने मंगलवार को सभी जिलों को नए सिरे से नौ बिंदुओं पर दिशा निर्देश दिए हैं। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट कहा कि उत्तराखंड में दंगा, फसाद और उपद्रव करने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में शांति का माहौल कायम रखने के लिए सत्यापन अभियान भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने रुड़की की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई के निर्देश दिए हैं।