खबर सच है संवाददाता
हरि नाम की धूम एवं “कामां के कन्हैया”व “लाठी वाले भैया” की जय जय कार से गुँजाएमान हो उठा सारा वातावरण
गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज के सानिध्य में हो रहे “पावन जन्मोत्सव ” के उपलक्ष में चार दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन के तीसरे दिवस नगर में विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें 1008 सौभाग्यवती महिलाएं विशेष परिधानों में सज सँवरकर सुंदर सजे हुए कलश उठाकर चल रही थी। कलश यात्रा के अलावा भजन, कीर्तन तथा महाराज जी के दिव्य प्रवचन भी हुए। कलश यात्रा में क्षेत्रीय व देश भर से आए काफी संख्या में भक्तों ने भाग लेकर बड़ी श्रद्धा और उल्लास पूर्वक फूल-मालाएं पहनाकर व पुष्प वृष्टि करके “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया” “लाठी वाले भैया” की जय जय कार के साथ पूरे नगर को गुंजायमान कर दिया। जगह-जगह भक्तों ने महाराज श्री का स्वागत किया।
कलश यात्रा ‘श्री हरि कृपा धाम आश्रम’ गढीनेगी से ए. एन. झा. इंटर कॉलेज करनपुर तक पहुंची। कलश यात्रा का नजारा देखने लायक था। बैंड, ढोल, बाजे, घोड़े, भक्तों द्वारा गाए गए महाराज जी की महिमा के भजन, कीर्तन गाए गए। वाद्य यंत्रो, शंख, घंटों की ध्वनि से पूरा नगर गुंजायमान हो गया। कई स्कूलों के छोटे-छोटे बच्चों ने भी शोभायात्रा में भाग लिया। महाराज श्री ने रथ को छोड़कर पैदल चलना ही स्वीकार किया। कलश यात्रा में आकर्षक ढंग से सुंदर सजे हुए मंगल कलश लेकर सौभाग्यवती स्त्रियां “हरिबोल” तथा “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैया” की जय जयकार बोलते हुए आगे चल रही थी। जब यह धार्मिक काफिला नगर के विभिन्न मार्गो से होकर निकला तब पूरे नगर के लोगों ने अपनी छतों से तथा सड़कों पर खड़े होकर पावन कलश यात्रा तथा महाराज जी की छटा को देखकर अपने नेत्रों को तथा अपने आप को पावन किया। लोगों ने पुष्प- वृष्टि कर सुंदर मालाएं पहनाकर तथा आकर्षक ढंग से सजी हुई महाराज जी की आरतियाँ उतार कर अपने आप को भाग्यशाली माना। कलश यात्रा में हर धर्म की स्त्री, पुरुष, वृद्ध व बच्चे बड़े ही उत्साह पूर्वक मंगल गीत गाते हुए एवं बड़े ही जोश से नृत्य करते चल रहे थे। नगर में प्रसाद व जलपान की व्यवस्था भी की गई थी। संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान मौसम ने भी सुहावना बनकर खुशी का इजहार किया।
इसके पश्चात महाराज जी ने अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ किया, शाम को महाराज जी के दिव्य प्रवचन हुए। उन्होंने अपने दिव्य ओजस्वी प्रवचन में कहा कि मानव जीवन की सार्थकता मात्र पशु तुल्य अपने तक ही सीमित रहने में नहीं, अपितु किसी के काम आने में हैं। ईश्वर की कृपा से प्राप्त धन, बल, पद, समर्थ्य आदि का भोग या उपयोग ही नहीं बल्कि सदुपयोग करना चाहिए। शांति को जीवन में प्रमुखता से स्थान दें। तीर्थस्थलों, उपासना स्थलों, प्राकृतिक रमणीय स्थलों, हिमालय इत्यादि में शांति मिलती है लेकिन उस शांति को बरकरार रखना या ना रखना हमारे ऊपर निर्भर करता है। परमात्मा का स्मरण मात्र मुख से नहीं साथ ही हृदय से यदि हो तो विशेष लाभदायक होता है। धर्म से, गुरु से, किसी संत से या परमात्मा से यदि आप जुड़े हैं तो आपका और भी अधिक उत्तरदायित्व हो जाता है कि आपके आचरण, स्वभाव, खानपान, वाणी, संगति आदि और भी श्रेष्ठ हो।
अपने धारा प्रवाह प्रवचनों में उन्होंने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध व भावविभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा। विभिन्न समुदाय द्वारा महाराज जी का विभिन्न स्थानों पर स्वागत व सम्मान किया गया। श्री महाराज जी ने श्री हरेश्वर महादेव का पूजन व महाभिषेक कर के कलश यात्रा का शुभारंभ किया। कलश यात्रा 3 कि.मी. तक रही। मार्ग में ही गुरुद्वारे में श्री महाराज जी ने माथा भी टेका। पुष्प हारों के साथ आरती उतार कर हरि भक्तों ने श्री महाराज जी का स्वागत किया। कलश यात्रा में हज़ारों भक्तों के साथ-साथ रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल,, सरदार कश्मीर सिंह, पंकज कुमार व भाजपा व कांग्रेस के अनेक राजनेता, अधिकारी व क्षेत्र के अन्य अनेक गणमान्य लोगों ने श्री महाराज जी का स्वागत किया।