हल्द्वानी। सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) एक जीवन रक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग उस स्थिति में किया जाता है जब व्यक्ति की हृदय धड़कन और श्वास रुक जाते हैं। इसे दिल का दौरा, डूबने, बिजली का झटका लगने या किसी अन्य आपातकालीन स्थिति में प्रयोग किया जाता है। वर्ल्ड हार्ट डे की पूर्व संध्या पर जगदंबा हार्ट केयर मेटरनिटी सेंटर में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश चंद पंत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सीपीआर का मुख्य उद्देश्य शरीर में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखना है, जिससे मस्तिष्क और अन्य अंगों को स्थायी क्षति से बचाया जा सके।
सीपीआर शुरू करने से पहले, सबसे पहले रोगी की प्रतिक्रिया की जांच करना महत्वपूर्ण है। व्यक्ति को हल्के से हिलाएं और जोर से आवाज दें, “क्या आप ठीक हैं?” यदि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को बुलाएं और सीपीआर की प्रक्रिया शुरू करें। रोगी को एक कठोर और सपाट सतह पर लिटाएं, क्योंकि मुलायम सतह पर सीपीआर देने से पर्याप्त कंप्रेशन नहीं हो पाते। छाती के बीचों-बीच दोनों हाथों की हथेलियों को एक-दूसरे के ऊपर रखें। कंप्रेशन की गहराई वयस्कों के लिए लगभग 5 से 6 सेंटीमीटर (2 से 2.5 इंच) होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि कंप्रेशन की गति तेज हो, लगभग 100-120 बार प्रति मिनट कंप्रेशन पर्याप्त गहराई के साथ दिए जाने चाहिए ताकि हृदय रक्त को प्रभावी ढंग से पंप कर सके। यदि आप प्रशिक्षित हैं, तो हर 30 कंप्रेशन के बाद रोगी के मुंह में दो बार सांस दें। सांस देते समय रोगी की नाक को बंद करें और मुंह को पूरी तरह से सील करते हुए धीरे-धीरे सांस भरें। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक कि पेशेवर चिकित्सा सहायता न पहुंच जाए या रोगी की सांस और धड़कन वापस न आ जाए। याद रखें कि सीपीआर जितनी जल्दी शुरू किया जाए, रोगी के जीवित बचने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। सीपीआर सीखना एक महत्वपूर्ण कौशल है, जिससे आपातकालीन स्थिति में जान बचाई जा सकती है। इस दौरान गायनोलॉजिस्ट डॉ सोमा पंत, संस्थान के मैनेजर गिरीश सुयाल, यमुना दत्त जोशी, हेमा, रचना परगाई, खस्टी जोशी, गुंजन, भावना, ममता, अनीता, हेमलता, वेलरों हेल्थ केयर के पवन जोशी आदि सम्मिलित हुए।
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