खबर सच है संवाददाता
देहरादून। कुर्सी गई पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सूबे की सत्ता से निष्कासन के घाव अब भी हरे ही रहे। लिहाजा जब भी कभी अवसर मिला त्रिवेन्द्र अपने निष्कासन पर यह बोलने से नही चुके कि “दर्द देकर पूछते हो हाल हमारा“। लिहाजा आज फिर पद से हटने के लगभग पांच माह बाद उन्होंने अपने दिल की पीड़ा ब्यक्त करते हुए कह ही दिया कि जब एक सीएम को हटाया जाता है तो लोगों के लिए सवाल उठाना स्वाभाविक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के हर कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वह पार्टी के फैसलों का पालन करे।
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बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत महज कुछ ही समय के लिए मुख्यमंत्री बने और संवैधानिक अड़चन के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। तीरथ के बाद राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की कमान संभाली है।
कहते है न कि “हर पल यही सोचता रहा कि कहा कमी रह गई थी मेरी चाहत में, उसने इतनी शिद्दत से दिल तोड़ा कि आज तक सम्भल नहीं पाएं“।
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हालांकि त्रिवेन्द्र की सल्तनत में डांका तो पूर्व से ही विदित था लेकिन कोरोना के चलते सल्तनत बच गई थी। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2019 में ही सल्तनत की सूबेदारी सतपाल महाराज, अजय भट्ट, धन सिंह रावत अथवा राज्य सभा से सांसद कोटे पर गए अनिल बलूनी के नाम किये जाने की चर्चा भी आम थी। लेकिन कोविड महामारी के चलते परिवर्तन सम्भव नहीं हो सका।
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