मात्र रावण आदि के पुतले दहन ही नहीं अंतर के असुरत्व को भी त्यागने का संकल्प लें- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

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खबर सच है संवाददाता 
 
10 दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन में महाराज श्री के दर्शनार्थ व दिव्य प्रवचन सुनने अपार जनसैलाब उमड़ा 
 
रामनगर। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं विश्व विख्यात संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहां श्री हरि कृपा आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अधर्माचरण करने वाले कुमार्गगामी लोगों का संग त्यागकर, जितेंद्रिय, श्रेष्ठ महापुरुषों का संग व उनकी सेवा करके अपने जीवन को कल्याणमय बनाएं। क्योंकि सत्पुरुषों का आचरण व कार्य सदैव अनुकरणीय होता है। उन्होंने कहा कि सत्संग का प्रकाश हमारे अंतर्मन को प्रकाशित करता है और हमें भी उस ज्ञान रूपी प्रकाश को अपने अंतर मन में धारण कर परमपिता परमेश्वर को पाने का प्रयास करना चाहिए।  मगर जब तक सत्य का संग नहीं होगा सत्संग से भी कोई लाभ प्राप्त हो नहीं सकेगा। जिस प्रकार सूरज की किरणें हमें तब तक लाभ नहीं पहुंचा सकती जब तक कि हमारे घरों की खिड़की दरवाजे बंद रहेंगे। ठीक उसी प्रकार हम गुरु व परमात्मा की कृपा के अधिकारी तभी बन सकते हैं, जबकि हम उनके द्वारा दिए गए ज्ञान रूपी प्रकाश को अपने अंतर्मन में उतारेंगे। 
 
अपने दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों में महाराज श्री ने कहा कि हम सभी रावण इत्यादि के पुतलों का प्रतिवर्ष दहन करते हैं लेकिन इस अवसर पर अपनी आसुरी प्रवृत्तियों को भी त्यागने का संकल्प भी लें, तभी हमारा इन त्योहारों को मनाना पूर्णरूपेण सार्थक होगा। भगवान राम की रावण पर विजय, सत्य की असत्य पर, अच्छाई की बुराई पर, धर्म की अधर्म पर विजय है यह हमेशा होती रही है और होती रहेगी। असत्य, अधर्म, अन्याय व बुराई हो सकता है कि हमें कुछ समय के लिए फलते फूलते से प्रतीत हो परंतु अंत में विजय सत्य, धर्म व अच्छाई की होगी। हम सभी इन प्रतीकात्मक पर्वों से प्रेरणा व संदेश ग्रहण कर अपने जीवन को दिव्य, मर्यादित, कर्तव्य परायण, प्रभुभक्तिमय, राष्ट्रीयता व मानवता से ओतप्रोत बनाएं। आज लोगों के धर्म से विमुख होने के कारण ही मानवता की कमी भी दिखाई देने लगी है। हमें समाज को बदलने के लिए लोगों की दृष्टि बदलने की आवश्यकता है। किसी को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारना चाहिए। यह सब बातें अध्यात्म के ज्ञान के बिना संभव नहीं है। जो व्यक्ति विपत्तियों,बाधाओं व परेशानियों से लड़ने की क्षमता रखता है वही जीवन के विकास का सच्चा आनंद प्राप्त कर सकता है। यदि संतता के मार्ग पर चलना चाहे तो अपने अंदर क्षमा, करुणा, उदारता, कृपा आदि सद्गुणों को अपनाएं। संत तो संतता के गुणों से है ना कि बाहरी वेशभूषा, दिखावा इत्यादि से। साधु, भक्त या महात्मा बनकर जो लोगों को धोखा देते हैं वे स्वयं को धोखा देते हैं व अपना जीवन पापमय बनाते हैं। दूसरों का अहित चाहने वाले या करने वाले का कभी हित नहीं होता। पतन या पाप का कारण प्रारब्ध नहीं है बल्कि विवेक का अनादर करके कामना के वश में होने पर मनुष्य पापाचरण करता है तभी उसका पतन होता है।किसी भी स्थिति अवस्था, प्राणी, पदार्थ, वस्तु आदि से जो सुख की कामना रखता है वह कभी सुखी नहीं हो सकता। वह सदैव निराश ही रहेगा व दुखी रहेगा। 
 
महाराज श्री ने कहा कि धर्म के वैज्ञानिक तथ्य नकारने से ही ढोंग, पाखंड व आडंबर बढा है। हमारे इस पवित्र भारत देश में भी अनाचार, अत्याचार,भ्रष्टाचार, घृणा व विद्वेष का वातावरण बनता जा रहा है।अधिक से अधिक भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करना लोगों ने जीवन का परम लक्ष्य बना लिया है। ऊंच-नीच तथा भेदभाव को अनुचित बताते हुए कहा कि सभी लोगों को मिल जुल कर रहना चाहिए। क्योंकि दुनिया में सभी धर्म यही शिक्षा देते हैं। त्याग, दृढ़ता संयम व तदनुकूल आचरण इन चारों से एकत्र होने पर ही सफलता प्राप्त होती है। 
महाराज श्री के दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया, तथा सभी भक्तजन मंत्रमुग्ध व भावविभोर हो गए व ‘हरिबोल’ की धुन में झूम उठे। सारा वातावरण “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैया” की जय जयकार से गुंजायमान हो उठा। महाराज श्री के दर्शनार्थ व दिव्य प्रवचन सुनने राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, बंगाल, मुंबई व देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचे। महाराज जी द्वारा गाए गए भजन को सुनकर तथा उनकी सुंदर छटा को देखकर वहां उपस्थित भक्तों की प्रेमवश अश्रुधारा बह पड़ी। पंडाल छोटा पड़ जाने के कारण भक्तों को खड़े होकर ही प्रवचन सुनकर संतोषकरना पड़ा। इस दौरान देवभूमि का लोक पर्व हरेला त्यौहार भी पारंपरिक ढंग से मनाया गया।कन्या पूजन में करीब 1008 कन्याओं का पूजन करके महाराज जी ने दक्षिणा प्रदान की। यज्ञ में अनेक छोटे बच्चों के मुंडन में यज्ञोपवीत संस्कार भी हुए। संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान मौसम बहुत सुहावना बना रहा। नवरात्रि महोत्सव एंव विराट धर्म सम्मेलन में हज़ारों भक्तों के साथ साथ सांसद अजय भट्ट, विधायक दीवान सिंह बिष्ट, पूर्व मंत्री ज्योति शाह मिश्रा, पूर्व विधायक जसपुर शैलेंद्र मोहन सिंघल, उत्तराखंड बोर्ड सचिव सिमल्टी, चेयरमैन भागीरथ चौधरी, उर्मिला चौधरी, पूर्व मंत्री दुर्गापाल, समाजसेवी हेम भट्ट व क्षेत्र के गणमान्य लोग मौजूद रहे। श्री महाराज जी के दिव्य प्रवचन सुनने के लिए रोज़ की तरह हज़ारों श्रद्धालु पहुँचे। कार्यक्रम के दौरान महाराज श्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार व शहीद परिवार का भी सम्मान किया।
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