खबर सच है संवाददाता
देहरादून। यहां विभिन्न इलाकों में पल्र्स ग्रीन फोर्ट लिमिटेड (पीजीएफ) और पर्ल्स एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की सीज संपत्तियों को एक गिरोह खुर्दबुर्द कर रहा था। गिरोह ने सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों रुपये कीमत की इन संपत्तियों का सौदा भी कर दिया। इस जालसाजी का पर्दाफाश करते हुए उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपितों के आठ साथी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पीजीएफ और पीएसीएल की कुछ संपत्तियां विवादित थीं।
ऐसे में वर्ष 2015 में सीबीआइ की जांच के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर देशभर में पीजीएफ की 348 और पीएसीएल की 14000 संपत्तियों को सीज कर दिया गया था। देहरादून के विभिन्न इलाकों में भी पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियां हैं। बीते दिनों सूचना मिली कि एक गिरोह जालसाजी कर इन जमीनों का सौदा कर रहा है। जांच की गई तो पता चला कि देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बड़ोवाला व मसूरी में पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियों को डिफेंस कालोनी स्थित एसपीके वल्र्ड काम प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक पूजा मलिक व संजीव मलिक और उनके साथियों ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के व्यक्तियों को बेचा है।
वहीं, एसटीएफ की जांच की भनक लगने पर संजीव और उसके साथी दून से फरार हो गए। तब से एसटीएफ उनकी तलाश में जुटी थी। इसी क्रम में चार जनवरी को एसटीएफ को सूचना मिली कि संजीव और उसके साथी लुधियाना (पंजाब) में होटल हयात में ठहरे हैं। उसी रोज एसटीएफ की टीम लुधियाना रवाना की गई। इस टीम ने छह जनवरी को होटल हयात से संजीव मलिक निवासी सेक्टर दो डिफेंस कालोनी देहरादून (उत्तराखंड), शुभम निवासी केरी गांव प्रेमनगर देहरादून (उत्तराखंड) और टिंकू निवासी भीमवाला अकबरपुर पथरी अमरोहा (उत्तर प्रदेश) को दबोच लिया। जांच में यह भी सामने आया कि इस गिरोह के सदस्य जमीन की खरीद-बिक्री के नाम पर धोखाधड़ी में पहले भी जेल जा चुके हैं। एसएसपी ने बताया कि अभी इस बात की जांच की जा रही है कि आरोपितों ने कितनी संपत्तियों का सौदा किया या उन पर अपना कब्जा दिखाया है।100 करोड़ से ज्यादा कीमत की 160 बीघा जमीन बेच दी आरोपितों ने
एक जुलाई 2021 को संजीव मलिक ने विभिन्न व्यक्तियों को तीन, पूजा मलिक ने 22 जनवरी को एक, नौ फरवरी को एक और 15 फरवरी को दो जमीन के टुकड़ों की रजिस्ट्री की। बताया जा रहा कि आरोपित अब तक करीब 160 बीघा जमीन का सौदा कर चुके हैं, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ से ज्यादा है।
पत्राचार करने पर खुला राज
दून में पीजीएफ व पीएसीएल की सीज संपत्तियों को बेचे जाने की सूचना मिलने पर एसटीएफ ने इस संबंध में सेबी से पत्राचार किया। जिसके जवाब में सेबी ने बताया कि उसने पीजीएफ और पीएसीएल की सीज की गई किसी भी संपत्ति को बेचने का अधिकार नहीं दिया है।
ये हैं फरार
पूजा मलिक पत्नी संजीव मलिक निवासी डिफेंस कालोनी, देहरादून
जितेंद्र उर्फ जानी निवासी अमन विहार सहस्रधारा रोड, देहरादून
नरेंद्र कुमार निवासी मनी एन्क्लेव नेहरूग्राम, देहरादून
आयुष बिष्ट निवासी पुलिस कालोनी, देहरादून
विनय कुमार निवासी वाणी विहार, देहरादून
रामकुमार, रियाज चौहान व मेहताब अली तीनों निवासी माधोपुर, रुड़की।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियों के निस्तारण के लिए सर्वोच्च न्यायालय की ओर से विशेष कमेटी गठित की गई है। आरोपितों ने इसी कमेटी की ओर से संपत्ति की बिक्री के फर्जी आदेश पत्र और सेबी के फर्जी प्रमाणपत्र दिखाकर जालसाजी को अंजाम दिया। इन दस्तावेजों के आधार पर आरोपित उक्त संपत्ति पर अपना हक बताकर सौदा करते थे। फर्जी दस्तावेज तैयार करने में सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों की साठगांठ की बात भी सामने आ रही है। आरोपितों ने खरीदारों को विश्वास में लेने के लिए कमेटी के बैंक खातों में फर्जी लेनदेन भी दर्शाया।