खबर सच है संवाददाता
नई दिल्ली। बेसहारा हुए बच्चों के नाम पर फंड एकत्र करने और बच्चों को गोद लेने के लिए लोगों को आमंत्रित करने से रोकने को शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वे उन एनजीओ पर कार्रवाई करें जो अवैध रूप से बच्चों को गोद ले रहे हैं। जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने आदेश में कहा कि जेजे एक्ट, 2015 के प्रावधानों के अलावा किसी और तरीके से बच्चों को गोद लेने से रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को गोद लेने के लिए आमंत्रण देना अवैध है और उन्हें कारा- सेंट्रल अडॉप्शन कंट्रोल अथॉरिटी, को शामिल कर गोद लिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि इस गैरकानूनी काम में शामिल एनजीओ, एजेंसियों और व्यक्तियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं।
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कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब एनसीपीसीआर द्वारा कोर्ट को बताया गया कि एनजीओ और कई लोग मीडिया में विज्ञापन देकर बच्चों को गोद लेने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। इससे पूर्व कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से कहा था कि वे बाल स्वराज पोर्टल पर मार्च 2020 से लेकर अब तक महामारी के कारण अपने माता पिता को खो चुके बच्चों की जानकारी डालें। यह पोर्टल एनसीपीसीआर ने बनाया है।
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