खबर सच है संवाददाता
देहरादून। देश भले ही शिक्षकों को सम्मान से नवाजने के लिए शिक्षक दिवस मना रहा है, लेकिन वास्तविकता शायद कुछ और ही दिखती है। जिसका ज्वलन्त उदाहरण अपनी जान देकर उफनती नदी में बहने से दो छात्रों को बचाने वाली दून की जांबाज शिक्षिका स्व. संगीता अग्रवाल के परिवार पर देखने को मिला है।
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बताते चले कि स्व. संगीता अग्रवाल दून के हल्दूवाला के प्राधमिक विद्यालय में शिक्षिका थीं। 2011 में स्कूल से लौटते वक्त उफनती नदी में फंसे दो छात्रों की जान बचाते हुए संगीता का निधन हो गया। इस साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया।
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उत्तराखंड सरकार की ओर से संगीता के जीवन पर उत्तराखंड के जांबाज नामक फिल्म भी बनाई गई। सरकार की ओर से घोषणा भी की गई कि संगीता की पुत्री के बालिग होने के बाद मृतक आश्रित कोटे में सरकारी नौकरी दी जाएगी, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी मानसी को नौकरी नहीं मिल पाई है।
इस संदर्भ में स्व. संगीता के पति संजीव ने बताया कि हाल ही में उन्होंने युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की थी। इस पर उन्होंने शिक्षा सचिव को मानसी को सेवायोजित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी भी इस संबंध में शासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (साभार)
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