खबर सच है संवाददाता
देहरादून। राजमार्ग जाम करने और बलवा करने के आरोपों से उत्तराखंड कांग्रेस के नेता सूर्यकांत धस्माना को 17 साल बाद बरी कर दिया गया है। एसीजेएम तृतीय की कोर्ट में अभियोजन यह साबित करने में असफल हुआ कि धस्माना उस तिथि में मौके पर मौजूद थे भी या नहीं। इसी संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने उन्हें ससम्मान दोषमुक्त कर दिया।
बताते चलें कि नौ जून 2004 को पुलिस ने सपना कुंवर, विमला थापा, सूर्यकांत धस्माना, मनोरमा गुरुंग, राजेंद्र गुरुंग और नरेंद्र क्षेत्री के खिलाफ बलवा और राजमार्ग जाम करने का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस का कहना था कि यह सभी लोग अन्य 150 लोगों के साथ दिलाराम चौक से हाथीबड़कला की ओर जाते हुए सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। इस दौरान उन्हें वहां रोका गया तो उन्होंने राजमार्ग जाम कर दिया। इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी की गई। मुकदमे विचारण के दौरान विमला थापा की मौत हो गई। इसके कारण उनके खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही बंद कर दी गई। सूर्यकांत धस्माना के अलावा बाकी अन्य आरोपियों ने अपना जुर्म इकबाल कर लिया। इसके चलते उनके खिलाफ चल रहे मामले का वर्ष 2009 में निपटारा किया गया।
अब केवल सूर्यकांत धस्माना के संबंध में ही ट्रायल चल रहा था। इस बीच कोर्ट में मुकदमे के विवेचना अधिकारी, तत्कालीन सीओ मसूरी आदि अधिकारियों के बयान दर्ज कराए गए थे। जिरह के दौरान अभियोजन के किसी भी गवाह ने सूर्यकांत धस्माना के मौके पर होने की पुष्टि नहीं की।
सभी ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि जुलूस का नेतृत्व कौन कर रहा था। ऐसे में कोर्ट ने माना कि इस बात में संदेह है कि सूर्यकांत धस्माना मौके पर थे। इस संदेह का लाभ देते हुए सूर्यकांत धस्माना को कोर्ट ने बरी करने के आदेश दे दिए।