खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी।उत्तराखंड के वीर शहीद चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर तकनीकी कारणों से नही पहुँच पाया उनके घर, पहले यह जानकारी थी कि भारतीय सेना सोमवार (आज) उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी मे रह रहे उनके परिवार को सौप सकते है। मगर जिस स्थान पर ये खोजी अभियान चलाया गया था वो अति दुर्गम स्थान और दुनिया की सबसे कठिनाई वाले स्थानों में से एक है, इस बाबत आज भारतीय सेना के नॉर्थरन कमांड द्वारा एक वीडियो भी जारी किया गया जो इस स्थान की विषमता को बताने के लिये काफी है।
बताते चले कि 19 कुमाऊँ रेजीमेंट में जवान चंद्रशेखर हर्बोला का जिनकी मौत 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान हो गई थी। बर्फीले तूफान में ऑपरेशन मेघदूत में 19 लोग दबे थे जिनमें से 14 जवानों का शव बरामद कर लिया गया था, लेकिन पांच जवानों का शव नहीं मिल पाया था। जिसके बाद सेना ने चंद्रशेखर हर्बोला के घर में यह सूचना दे दी गई थी कि उनकी मौत बर्फीले तूफान की वजह से हो गई है। उस दौरान चंद्रशेखर हर्बोला की उम्र सिर्फ 28 साल थी। उनकी दोनों बेटियां बहुत छोटी थी। परिजनों ने चंद्र शेखर हर्बोला का अंतिम संस्कार पहाड़ के रीति रिवाज के हिसाब से किया था लेकिन अब 38 साल बाद उनका पार्थिव शरीर सियाचिन में खोजा गया है जो कि बर्फ के अंदर दबा हुआ था। अब शहीद का पार्थिव शरीर कल मंगलवार तक उनके निवास स्थान पर पहुँचने की संभावना है।