कांग्रेस की करारी हार के बाद से G-23 खेमा सक्रिय, उठी सामूहिक और समावेशी लीडरशिप की मांग 

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खबर सच है संवाददाता
दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद से G-23 कहा जाने वाला पार्टी का असंतुष्ट खेमा का काफी सक्रिय है। बुधवार की रात सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद के घर पर 18 नेताओं की बैठक हुई, जिसमें कुछ लोग जी-23 का हिस्सा हैं, जबकि कई और नए नेता भी शामिल रहे। बैठक को लेकर कहा जा रहा था कि इसमें कांग्रेस बड़े बदलावों की मांग के साथ कुछ प्रस्ताव पारित हो सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। नेताओं ने सामूहिक और समावेशी लीडरशिप की मांग की है। मीटिंग में गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनाने या फिर संगठन चुनावों को लेकर कोई मांग नहीं की गई।

हालांकि इन नेताओं ने पार्टी को सुझाव दिया है कि कांग्रेस को उन दलों के साथ गठबंधन करने चाहिए, जो उसकी विचारधारा से सहमति रखते हैं। खासतौर पर 2024 के आम चुनाव के लिए यह सुझाव दिया गया है। इन नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को कोशिश करनी चाहिए कि वह विपक्षी दलों के बीच अलग-थलग न पड़े। इस मीटिंग में कुल 6 राज्यों के नेता शामिल थे। गांधी परिवार पर ही सीधा हमला करने वाले कपिल सिब्बल के अलावा आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण भी इसका हिस्सा थे। ये सभी नेता जी-23 ग्रुप का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने दो साल पहले सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बदलावों की मांग की थी।

यही नहीं इस बार की बैठक में भूपिंदर सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शंकर सिंह वाघेला और मणिशंकर अय्यर भी शामिल थे। ये सभी नेता पहले जी-23 का हिस्सा नहीं थे। दिलचस्प बात यह है कि केरल के बड़े नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर भी इस मीटिंग में पहुंचे। वह दो साल पहले सोनिया को खत लिखने वाले नेताओं में शामिल थे, लेकिन तब से ही उससे दूरी बनाए हुए थे। बयान में कहा गया कि हम मानते हैं कि कांग्रेस के आगे बढ़ना का एक ही तरीका है कि वह सामूहिक लीडरशिप के मॉडल को अपना ले। इसके अलावा हर स्तर पर निर्णय की प्रक्रिया हो। बयान में कहा गया, ‘भाजपा का मुकाबला करने और कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हम मांग करते हैं कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों के साथ एक प्लेटफॉर्म पर आए। तभी 2024 के लिए एक बेहतर विकल्प दिया जा सकेगा।’ यह ग्रुप गांधी परिवार के खिलाफ जाने से भी बचता दिखा। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि पहले यह मीटिंग कपिल सिब्बल के घर पर होनी तय हुई थी, लेकिन अंत समय में प्लान चेंज हो गया और सभी नेताओं का जमावड़ा गुलाम नबी आजाद के घर पर लगा। दरअसल इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कपिल सिब्बल ने सीधा हमला गांधी फैमिली पर किया था। ऐसे में उनके घर पर मीटिंग को टाल दिया गया ताकि यह संदेश न जाए कि यह गुट गांधी परिवार के खिलाफ जा रहा है।

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