लालकुआं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) एवं केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों/एसोसिएशनों का संयुक्त मंच के राष्ट्रीय आह्वान पर पूरे देश के मजदूरों और किसानों के मुद्दों पर प्रकाश डालने और उनके निवारण की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा लालकुआं तहसीलदार के माध्यम से भारत की राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया।
ज्ञापन में कहा गया कि मोदी के नेतृत्व में एनडीए की लगातार तीसरी सरकार की नीतियों से भारत के मेहनतकश लोगों को गहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस सरकार का उद्देश्य कॉरपोरेट और अति अमीरों को समृद्ध करना है। जबकि खेती की लागत और मुद्रास्फीति हर साल 12-15% से अधिक बढ़ रही है, सरकार एमएसपी में केवल 2 से 7% की वृद्धि कर रही है। किसान अपने आधे अधूरे एमएसपी, एपीएमसी मंडियों, एफसीआई और राशन प्रणाली आपूर्ति को बचाने के लिए फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मदद के लिए केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषित डिजिटल कृषि मिशन-डीएएम के माध्यम से सरकार भूमि और फसलों का डिजिटलीकरण लागू कर रही है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने और खाद्यान्न फसलों की जगह वाणिज्य फसलों को उगने पर जोर दे फसल पद्धति को बदलने की योजनाएँ चल रही हैं, जो कॉर्पोरेट बाज़ार की आपूर्ति में सहायक हैं। सरकार की घोषित राष्ट्रीय सहयोग नीति का उद्देश्य फसल कटाई के बाद के कार्यों को कॉर्पोरेट द्वारा अपने नियंत्रण में लेना औरसहकारी क्षेत्र के कर्ज को कॉर्पोरेट की ओर मोड़कर उन्हें फायदा पहुंचाना है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव चन्दन राम ने कहा कि, खेती में लगातार घाटा बढ़ने से किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और उनकी खेती से बेदखली बढ़ती जा रहीं है और उसके साथ आवारा गोवंश से खेती किसानी को बहुत नुकसान हो रहा है लेकिन भाजपा सरकार बेहद शर्मनाक चुप्पी साधे हुए है। तीव्र कृषि संकट लाखों ग्रामीण युवाओं को शहरों की ओर पलायन कर ठेका मज़दूरों की स्थिति में धकेलने के लिए मजबूर कर दिया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा लगाए जा रहे चार श्रम कोड। न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षित रोजगार, उचित कार्य समय और यूनियन बनाने के अधिकार की किसी भी गारंटी को ख़त्म करते है। विमला रौथाण ने कहा कि रक्षा सहित सभी रणनीतिक उत्पादन और रेलवे, बिजली एवं अन्य परिवहन सहित बुनियादी, महत्वपूर्ण सेवाओं का निजीकरण देश की आत्मनिर्भरता को पूरी तरह से खतरे में डालदेगा और सरकार की आय को प्रभावित करेगा। अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता नैन सिंह कोरंगा ने कहा कि औद्योगीकरण के नाम पर कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन वास्तव में यह भूमि अति-धनवानों के मनोरंजन, वाणिज्यिकउपयोग, पर्यटन, रियल एस्टेट आदि के लिए दी जा रही है, जबकि सरकार बेशर्मी से भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 और वन अधिकार अधिनियम- को लागू करने से इनकार कर रही है। कॉर्पोरेट कंपनियां बिजली के स्मार्ट मीटर, मोबाइल नेटवर्क के उच्च रिचार्ज शुल्क, बढ़ते टोल शुल्क, रसोई गैस व डीजल एवं पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और जीएसटी के विस्तार के माध्यम से मोटी कमाई कर रही हैं।इसके विपरीत, कामकाजी लोग – किसान, औद्योगिक एवं खेत मज़दूर और मध्यम वर्ग कर्ज के बोझ मे दबा जा रहा हैं।
इस दौरान मुख्य रूप से विमला रौथाण, निर्मला शाही, नैन सिंह कोरंगा, आनंद सिंह दानू, कमल जोशी, त्रिलोक राम, ललित जोशी, धीरज कुमार, ललित मटियाली आदि लोग शामिल थे।
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