गंगा व यमुना की भाँति पवित्र भाव से मिलते हुए जीवन को प्रयागराज बनाओ- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

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गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहाँ श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार, नगर, राष्ट्र व समाज में सब आपस में मिलकर एक हो जाएं, संसार एक मेला है तथा मेले का अर्थ है मिलाप।मेले में जाकर तो आनंद आता है लेकिन यदि मेलों में ठीक से चलना ना आया, बोलना ना आया, व्यवहार करना ना आया तो मेला झमेला बनते भी देर नहीं लगती।संसार रूपी मेले में भी अधिकांश लोगों के जीवन में आज वो आनंद, उत्साह व उमंग दिखाई नहीं देती है।लगता है लोगों के लिए भी यह संसार रूपी मेला झमेला बन चुका हैं। विशेषतया उनके लिए जिन्हें जीने की कला नहीं आती क्योंकि जीना भी एक कला है।

उन्होंने कहा कि इस संसार मेले में हम मिले तथा मिल कर एक हो जाएं परंतु शेर व हिरन या बकरी की भाँति नही क्योंकि शेर व बकरी मिलकर एक तो होते हैं परंतु वहां हिंसा को स्थान मिलता है, गंधक व पोटाश मिलकर एक होते हैं पर वहां विस्फोट होता है, घी व शहद मिलकर एक होते है पर विष पैदा होता है, कौरव पांडव भी कितनी बार मिले परंतु कोई ना कोई झगड़ा विवाद अशांति ही पैदा हुई, ऐसा मिलना जिस मिलने पर कलह, क्लेश, विवाद, अशांति, वैमनस्य, द्वेष, घृणा, हिंसा इत्यादि जन्म ले ले ऐसा मिलना अच्छा नहीं। ऐसे मिलने से तो ना मिलना कहीं श्रेष्ठ है। मिलना हो तो मिलकर एक हो जाएं गंगा व यमुना की भांति। गंगा भी पवित्र तथा यमुना भी पवित्र तथा जब दो पवित्र आत्माऐ आपस में मिलकर एक होती हैं, तो उनका जीवन पहले से भी कहीं अधिक पवित्र व महान हो जाता है। जैसा कि गंगा व यमुना के मिलने पर तीर्थराज प्रयाग को महान गरिमामय  स्थान प्राप्त होता है। अपने दिव्य प्रवचनों में उन्होंने चार प्रयागराजों का वर्णन किया। पहला स्थावर प्रयागराज जो इलाहाबाद मे है, दूसरा सत्संग रूपी तीर्थराज जहां राम भक्ति रूपी गंगा ब्रहम का विचार व प्रचार रूपी सरस्वती विधि निषेघात्मक बोध रुपी सूर्य तनया यमुना बहती है। जिसमें स्नान का तुरंत फल दिखाई देता है, तीसरा भक्त रूपी तीर्थराज प्रयाग तथा चौथा प्रभु के चरणार बिन्द रुपी प्रयागराज का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि या तो गंगा व यमुना की भाँति मिलकर के एक हो जाओ अन्यथा राम व भरत, भक्त व भगवान की भाँति आपस में मिलकर एक हो जाओ। उन्होंने “तन्मयता तद्ररुपता प्रदान करती है”। सिद्धांत का भी विस्तार से वर्णन किया। हम जिस में पूर्ण रूपेण तन्मय हो जाते हैं वही रूप धारण कर लेते हैं। चाहे गंदा नाला ही क्यों ना हो परंतु यदि वह अपना नाम, गंघ, रूप, स्वाद सब कुछ मिटा कर पूरी तरह गंगा जी मे तन्मय हो जाए तो वह गंगा जी ही हो जाता है। गंगा जी भी अपना सब कुछ मिटाकर समुंद्र में पूरी तरह तन्मय हो जाये तो वह समुंद्र ही हो जाती है। भरत ने पूरी तरह अपने को श्रीराम में तन्मय कर दिया है अंत अब राम व भरत  मैं कोई अंतर नहीं रह गया है। यूं भी परमात्मा महात्मा भक्त व संत में कोई अंतर नहीं यह चार दिखते हैं परंतु एक ही है। भक्त के जीवन का यदि मंथन किया जाए तो समुंद्र मंथन की भाँति वहां से सब कुछ नहीं निकलता मात्र प्रभु प्रेम रूपी अमृत ही निकलेगा। अपने दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों में उन्होंने कहा कि घ्यान की एकाग्रता के लिए एक ईष्ट का चुनना बहुत आवश्यक है अंतर में अपने ईष्ट का ध्यान करते हुए बाहर सभी का सम्मान, पूजा व ध्यान कर सकते हैं यदि ना कर पाए तो कम से कम किसी का निरादर ना करें। ईष्ट को सर्वोपरि माने तथा उसके प्रति निरंतर प्यार बढ़ाते रहें जीवो पर करुणा व दया बरसाए। पूर्णरूपेण अहिंसा व्रत का पालन करें बर्हिमुखता त्याग कर अनर्तमुख होंगे तो भक्ति पथ पर आगे बढ़ते हुए परमात्मा का साक्षात्कार कर सकेंगे। अभ्यास के द्वारा मन की चंचलता को रोको मन परमात्मा की अमानत है इसे परमात्मा में ही लगाएं। विषय, भोग ,संसार सांसारिकता भोग विलासो मे लगाने पर अन्तत दुखी होना पड़ता है। छोटी-छोटी बातों से आपसी प्रेम व सद्भाव को समाप्त ना करें, श्रद्धा व विश्वास से ही अंत करण में स्थित परमात्मा को देख सकते हैं। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध वा भाव विभोर कर दिया सारा वातावरण भक्ति मय  में हो उठा व श्री गुरु महाराज कामां के कन्हैया व लाठी वाले भैय्या की जय जयकार से गूँज उठा।

बताते चलें कि श्री हरि कृपा धाम आश्रम गढीनेगी में महाशिवरात्रि महोत्सव एवं चार दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन का आयोजन परम पूज्य स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज के पावन सानिध्य में 15 से 18 फ़रवरी तक किया गया है। जिसमें 15 से 17 फ़रवरी तक रोज 4 से 6 बजे तक दिव्य प्रवचन होंगे तथा 18 फ़रवरी को प्रातः 8 बजे श्री हरेश्वर महादेव का महाभिषेक होगा। तथा 10 बजे से 1 बजे तक श्री महाराज जी के दिव्य प्रवचन होंगे तथा 1 बजे से विशाल भण्डारे का आयोजन होगा। जिसमें सभी धर्म प्रेमी जनता को आमंत्रित किया गया है ।

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TAGS: Make your life Prayagraj by meeting holy spirit like Ganga and Yamuna - Shri Hari Chaitanya Mahaprabhu Swami hari chaitanya mahaprabhu US nagar news Uttrakhand news

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