खबर सच है संवाददाता
देहरादून। सरकार भले ही बड़ी-बड़ी बाते करे लेकिन योग को देश और दुनिया में प्रसिद्धि दिलाने वाले प्रदेश के ही योग प्रशिक्षित रोजगार को दर-दर भटक रहें है। ताज्जुब तो इस बात का है कि यहां कक्षा 6 से 12 वीं तक के पाठ्यक्रम में योग तो शामिल है लेकिन योग शिक्षकों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। प्रदेश में 60 हजार से अधिक योग प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। यह हाल तब है जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस और वर्तमान की भाजपा सरकार योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति के लिए कई बार घोषणा क़र चुकी है।
कैबिनेट में प्रस्ताव आने के बाद भी वे वर्षों से नियुक्ति की आस लगाए हुए हैं। सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत भी वेद, ज्योतिष और वैदिक गणित को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की है। शिक्षण के लिए योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति का मामला पूर्व में कैबिनेट में आया लेकिन सिस्टम की खामी के चलते मामला फाइलों में ही दबकर रह गया। बेरोजगारों के मुताबिक एक मार्च 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिहरी में आयोजित एक समारोह में जूनियर हाईस्कूलों एवं उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा के लिए योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी। इसके बाद कैबिनेट में भी प्रस्ताव आया। तब निर्णय लिया गया कि 50 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में योग शिक्षकों एवं बीपीएड प्रशिक्षितों को नियुक्ति दी जाएगी। धामी कैबिनेट में भी सरकारी महाविद्यालयों, हर ब्लॉक के एक इंटर कालेज में योग शिक्षक की भर्ती का प्रस्ताव आया, लेकिन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिली। और यही कारण है कि योग प्रशिक्षित बेरोजगार शिक्षा निदेशालय में एक जून से अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। आंदोलनरत योग प्रशिक्षितों की मांग है कि प्रदेश के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों में योग को अनिवार्य विषय कर उनकी नियुक्ति की जाए। इसके अलावा प्रदेश के आयुष, एलोपैथिक अस्पतालों एवं पर्यटन विभाग के तहत पर्यटक आवास गृहों में नियुक्ति दी जाए।
योग प्रशिक्षित बेरोजगारों के मसले पर तमाम घोषणाएं हुई, कई वादे किए गए, लेकिन नियुक्ति नहीं मिली। यही वजह है कि दुनिया में योग को प्रसिद्धि दिलाने वाले प्रदेश के बेरोजगार निराश हैं। -अमित नेगी, अध्यक्ष योग प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ