हरि तुम हरो जन की पीर !
खबर सच है संवाददाता
गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ एएनझा इंटर कॉलेज करनपुर में विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म लौकिकता व पारलौकिकता के बीच एक सेतु का काम करता हैl लौकिक कर्तव्यों का पालन करते हुए पारलौकिक मार्ग पर कैसे आगे बढ़ा जा सके यह सिखाता है धर्म। कर्म, भक्ति व ज्ञान का सुन्दर समन्वय स्थापित करके जीवन को आदर्श, महान, सुखी व समृद्ध बनाने का संदेश देता है धर्म। सत्य, अहिंसा, परोपकार, राष्ट्र भक्ति, माता पिता व गुरुजनों का सम्मान,सदाचरण, नैतिकता व चारित्रिक उत्थान का संदेश देता है धर्म। हम आज हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी, जैन इत्यादि बने हैं, जिसमें कोई बुराई नहीं लेकिन एक सच्चे इंसान बने हैं या नहीं अंतरात्मा में यह सोचने पर मजबूर करता है धर्म। हम अपने धर्म का सम्मान करे लेकिन औरों का निरादर नहीं। सही दिशा में उठाया हमारा हर क़दम कल्याणकारी होगा। वर्तमान में समाज में निरन्तर नैतिकता, राष्ट्रीयता व चरित्र का हो रहा ह्रास अत्याधिक चिंता का विषय हैं। धर्म विज्ञान सम्मत है ढकोसला नहीं, लोगों ने अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए इसे ढकोसला बनाने का प्रयास किया। धर्म से विज्ञान दूर होने पर ही ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, रूढिवादिताओं को बढावा मिलता है। धर्मविहीन विज्ञान विकास का नहीं, विनाश का कारण बनेगा। देश को तोड़ने व बाटँने की जो घृणित व कुत्सित साज़िशें की जा रही हैं। उन्हें सफल नहीं होने देना है। राष्ट्र में सभी को सभी प्रकार के मतभेदों व संकीर्णताओं को त्यागकर आपसी प्रेम,एकता व सद्भाव को बनाए रखना हैं।
महाराज श्री ने भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘भा’ यानी भाव सृजन करने वाली, ‘ग’ यानी गर्व को नष्ट करने वाली, ‘व’ यानी वर्ण व वर्ग भेद को समाप्त करने वाली। ‘त’ यानी तपस्चर्या परिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देने वाली। ग्रहस्थ को ही तपोवन बना लें। जंगलों, गुफाओं या हिमालय में तप हेतु जाने की आवश्यकता नहीं है। गंगा व यमुना की तरह पवित्र भाव से आपस में मिले, जीवन में एक लक्ष्य हो, लक्ष्य की ओर निरंतर प्रयास हो। मनोबल, आत्मबल व आत्मविश्वास बरकरार रखें।परमात्मा का स्मरण करते हुए बाधा, कठिनाईयों, परीक्षाओं से यदि न घबराते हुए निरंतर चले तो सफलता अवश्य ही क़दम चूमेगी व ऐसा मिलाप होने पर गंगा व यमुना की तरह एक बार मिलने के बाद कभी संबंध टूटने की कगार पर नहीं आएंगे। श्री राम भरत के मिलाप का उदाहरण देते हुए कहा कि भरत ने स्वयं को राम के रंग में पूरी तरह रंग लिया तो 14 वर्ष की तन की दूरी भी दिल से दूर नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि मानव जीवन की ही महिमा है कि वह अपने लिए समाज के लिए व परमात्मा के लिए उपयोगी हो सकता है। त्यागपूर्वक शांत होकर अपने लिए, उदारता पूर्वक सेवा करके समाज के लिए व आत्मीयता पूर्वक प्रेम करके परमात्मा के लिए उपयोगी होता है। शांत उदार व प्रेमी भक़्त हो जाना यह मानव जीवन की महिमा है। जो शांत होगा वह उदार तथा ज़ो उदार होगा वह भक्त होगा। ऐसा जीवन ही पूर्ण जीवन है व ब्रह्मा का साक्षात्कार भी यही है। महाराज श्री ने अपने धाराप्रवाह प्रवचनों से उपस्थित भक्तों को मंत्रमुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण “हरि तुम हरि जन की पीर” के भाव के साथ ही भक्तिमय हो उठा व ”श्रीगुरु महाराज”, “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैया “की जय जयकार से गूंज उठा।
महाराज जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में प्रधानमंत्री, महामहिम राष्ट्रपति अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री, व राज्यपालों, देश के प्रसिद्ध संतों की शुभकामनाएं व बधाई संदेश प्राप्त हो रहे हैं। कार्यक्रम में हज़ारों भक्तों के साथ साथ अनेक संत, रक्षा राज्यमंत्री व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट जी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय महासचिव कांग्रेस माननीय हरीश सिंह रावत जी, महिला आयोग उपाध्यक्ष ज्योति शाह मिश्रा, विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक जसपुर शैलेन्द्र मोहन सिंघल, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष भागीरथ चौधरी, नगर पालिका अध्यक्ष ऊषा चौधरी, हेम भट्ट व अन्य कांग्रेस व बीजेपी के नेता व गणमान्य लोग श्री महाराज जी के दर्शनों व आशीर्वाद लेने पहुँचे ।