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सनातन धर्म और संस्कृति से नफरत करने वालों को है भारत शब्द से परेशानी
देहरादून। भाजपा ने G 20 के निमंत्रण पत्रों में भारत नाम के प्रयोग को उत्तराखंड के लिए विशेष गौरवशाली क्षण बताते हुए इसे गुलामी की मानसिकता रखने वालों पर करारी चोट बताया है। साथ ही विपक्षी ‘मुहब्बत की दुकान’ में सनातन और भारत विरोधी सामान की बिक्री को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया के सवालों का ज़बाब देते हुए कहा कि इंडिया के स्थान पर भारत नाम का औपचारिक प्रयोग प्रत्येक देशवासी का शीश गर्व से ऊंचा करने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारी सनातनी संस्कृति को प्रतिबिंबित करने वाला भारत नाम युगों युगों से हमारे देश की पहचान है। ऐसे में आज अधिकृत सरकारी भाषा में भारत शब्द का प्रयोग होना विशेष रूप से उत्तराखंड के लिए भी गौरवमयी बदलाव है। क्योंकि राज्य में कोटद्वार के ऋषि कण्व के आश्रम में ही चक्रवर्ती राजा भारत का जन्म हुआ था। जिनके योगदान के दृष्टिगत ही देश को भारत नाम से पहचाना गया। उन्होंने इस बदलाव पर सवाल खड़ा करने वालों को गुलामी की मानसिकता में जीने वाला बताया। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्हें आज भी अंग्रेजों और उससे पहले मुस्लिम आक्रांताओं के शासनकाल की तारीफ करते नही थकते हैं। हमारे मन में इंडिया नाम के प्रति भी पूरा सम्मान है और संविधान में भी इंडिया को भारत के नाम से उल्लेखित किया गया है। ऐसे में तमाम विपक्षी दलों को भारत नाम से इतनी तकलीफ क्यों है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, जिन लोगों को सनातन धर्म और संस्कृति से नफरत है उन्ही लोगों को भारत नाम से आपत्ति है। ये वही राजनैतिक दल हैं जो समुदाय विशेष की तुष्टि के लिए भारत माता की जय के नारे लगाने से अपने ही कार्यकर्ताओं को रोकते हैं और वंदे मातरम को सांप्रदायिक साबित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इसके अलावा राजनैतिक फायदे के लिए भारत जोड़ो यात्रा तो निकलते हैं लेकिन भारत नाम से दिक्कत है।
भट्ट ने कहा कि आज पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की गुलामी के प्रतीकों को हटाकर नए भारत की पहचान स्थापित करने वाले ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। देश की गौरवशाली सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सभ्यता से जुड़े स्थलों एवं परंपराओं को पुनर्स्थापित एवम अधिक महिमामंडित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े आयोजन के आमंत्रण कार्डों में भारत शब्द का औपचारिक प्रयोग भी इन प्रयासों की कड़ी में निर्णायक कदम है। एक ओर जहां भारत सरकार के इस निर्णय की सभी देशवासी मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं वहीं न जाने क्यों मौकापरस्ती के लिए नया-नया i.N.D.I.A. गठबंधन बनाने वालों को परेशानी हो रहे है।