खबर सच है संवाददाता
दिल्ली। देश में अगला राष्ट्रपति कौन होगा? इस सवाल को लेकर आम जनमानस से लेकर सियासी गलियारों में भी चर्चा हो रही है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और चुनाव आयोग राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान कराएगा और 21 जुलाई को देश के अगले राष्ट्रपति के नाम का आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा। फिलहाल सियासी गलियारों में कई नेताओं के नाम राष्ट्रपति पद के लिए चल रहा है लेकिन भारतीय जनता पार्टी आखिरी समय में चौंकाने वाला नाम सामने ला सकती है।
बीजेपी ने तय कर लिए ये 2 प्रमुख नाम
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने देश के अंदरुनी हालात और विदेशों से संबंध को ध्यान में रखते हुए 2 नाम अंतरिम तौर पर तय कर लिए हैं। इनमें से एक नाम केरल के राज्यपाल और उदारवादी मुस्लिम नेता आरिफ मोहम्मद खान का है। वहीं दूसरा नाम झारखंड की पूर्व राज्यपाल रहीं द्रोपदी मुर्मू का बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक होगी, जिसमें पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आखिरी फैसला लिया जा सकता है।
निर्विवाद नेता रहे हैं आरिफ मोहम्मद खान
अगर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की बात करें तो उनमें कई ऐसी खूबियां हैं, जो बीजेपी की विचारधारा और राजनीति को सूट करती हैं। पहली बात ये है कि वे मुसलमानों के उदारवादी चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं और कट्टरवाद के खिलाफ डटकर बोलते हैं। उन्होंने शाहबानों प्रकरण में कट्टरपंथी मुसलमानों के आगे झुकने पर विरोधस्वरूप राजीव गांधी की सरकार से इस्तीफा दे दिया था। आरिफ मोहम्मद खान बेहद पढ़े-लिखे और जाने-माने स्कॉलर हैं. उन्हें देश की राजनीति, विदेशी राजनय संबंधों और प्रमुख समस्याओं का गहरा ज्ञान है। वे अब तक निर्विवाद नेता रहे हैं और भ्रष्टाचार या कदाचार का उन पर कभी आरोप नहीं लगा है। इन्हीं खूबियों की वजह से सभी पार्टियों में आरिफ मोहम्मद खान के समर्थक मौजूद हैं। पार्टी की सोच है कि अगर आरिफ मोहम्मद खान को राष्ट्रपति पद के लिए कैंडिडेट घोषित करती है तो मुस्लिम देशों के साथ संबंध भी मजबूत होंगे और मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे कट्टरपंथियों को करारा जवाब भी दिया जा सकेगा।
द्रोपदी मुर्मू रह चुकी हैं झारखंड की राज्यपाल
झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू भी बीजेपी की लिस्ट में शामिल बताई जा रही हैं। उन्हें अंतरिम तौर पर चयनित करने के पीछे 2 बड़े कारण बताए जा रहे हैं। पहला, बड़ा कारण ये है कि देश में अब तक आदिवासी तबके से कोई भी राष्ट्रपति नहीं बना है। जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर समेत समूचे उत्तर पूर्व भारत में आदिवासियों की बड़ी आबादी निवास करती है। पार्टी नेताओं की सोच है कि अगर आदिवासी तबके से आने वालीं द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो इन राज्यों के आदिवासी समाज में पार्टी का समर्थन बढ़ेगा। जिसका सीधा फायदा 2024 के संसदीय चुनावों में पार्टी को होगा। दूसरा बड़ा कारण ये है कि हाल के दिनों में जितने भी राज्यों में असेंबली चुनाव हुए हैं, वहां पर महिलाओं का बड़ा साथ बीजेपी को मिला है। पार्टी का मानना है कि अगर द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया जाता है तो देशभर की महिलाओं में एक बड़ा संदेश दिया जा सकता है। द्रोपदी मुर्मू के चयन से आदिवासी और महिला होने के दोनों लाभ बीजेपी को मिल जाएंगे। ऐसे में उनकी उम्मीदवारी की संभावना भी मजबूत बनी हुई है।
हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राजनीति को करीब से देखने वालों का कहना है कि वे दोनों अक्सर चौंकाने वाले फैसले करते रहे है। विभिन्न पदों के लिए जिन लोगों का नाम मीडिया में आ जाता है, वे अक्सर उससे अलग ही नाम लेकर आते हैं। ऐसे में संभव है कि आरिफ मोहम्मद खान और द्रोपदी मुर्मू से अलग कोई तीसरा नाम अचानक फाइनल हो जाए। फिलहाल तो सबको इंतजार अगले सप्ताह होने वाली बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक का है। जिसमें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा कर फाइनल नाम तय किया जाएगा।