खबर सच है संवाददाता
रूद्रपुर। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एंव भारत के महान सुप्रसिद्ध संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी क्षेत्र में आप आगे बढ़ो तो कठिनाइयां, बाधाएं, परीक्षाएं आना स्वाभाविक है लेकिन प्रभु स्मरण करते हुए प्रभु नाम लेते हुए चलें तो वो आपके सामने टिक नहीं पाएंगी। जैसे हनुमान जी सीता रूपी भक्ति को प्राप्त करने के लिए चले तो मार्ग में आने वाली बाधाओं को सहज में ही पार कर लिया। जो व्यक्ति विपत्तियों, बाधाओं व परेशानियों से लड़ने की क्षमता रखता हो वही जीवन के विकास का सच्चा आनंद प्राप्त कर सकता है।
महाराज श्री ने कहा कि आराम तलब आदमी कभी भी लौकिक क्षेत्र में या पारलौकिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता, यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु पदार्थ को पाना चाहता है उसके लिए प्रयास करता है और यदि थक कर बीच में अपना विचार ना बदल दे तो उसे अवश्य ही प्राप्त कर लेता है। यदि व्यक्ति पुरुषार्थ करें तो ईश्वर भी उसकी सहायता करता है। उन्होंने कहा कि सबसे महान व्यक्ति वह है जो दृढ़तम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। जो व्यक्ति उद्योग वीर है वह कोरे वाग्वीर व्यक्तियों पर अधिकार जमा लेता है। जिसे हमारा हृदय महान समझे वह महान है। आत्मा का निर्णय सदा सही होता है। किसी का तिरस्कार ना करें। जो भी देखें, सुने या पढ़ें उस पर विचार करें। किसी को भी नुकीले व्यंग बाण ना चुभायें। ऐसा कुछ ना बोलें जिससे किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे। किसी का दिल दुखे या प्रेम, एकता, सद्भाव नष्ट हो जाए, अशांति हो जाए कलह- क्लेश या वैमनस्य पैदा हो जाए। हमारे हृदय उद्धार व विशाल होने चाहिए। आज मनुष्य का मस्तिष्क विशाल तथा हृदय सिकुड़ता चला जा रहा है। अकड़ या अभिमान नहीं होना चाहिए।
अपने दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों में उन्होंने कहा कि ध्यान की एकाग्रता के लिए एक ईष्ट का चुनना बहुत आवश्यक है। अंतर में अपने ईष्ट का ध्यान करते हुए बाहर सभी का सम्मान, पूजा व ध्यान कर सकते हैं। यदि ना कर पाए तो कम से कम किसी का निरादर ना करें। ईष्ट को सर्वोपरि माने तथा उसके प्रति निरंतर प्यार बढ़ाते रहें। जीवो पर करुणा व दया बरसाए। पूर्णरूपेण अहिंसा व्रत का पालन करें, बर्हिमुखता त्याग कर अंतर्मुख होंगे तो भक्ति पथ पर आगे बढ़ते हुए परमात्मा का साक्षात्कार कर सकेंगे।अभ्यास के द्वारा मन की चंचलता को रोको। मन परमात्मा की अमानत है इसे परमात्मा में ही लगाएं। विषय, भोग, संसार, सांसारिकता, भोग विलासो मे लगाने पर अन्तत: दुखी होना पड़ता है। छोटी-छोटी बातों से आपसी प्रेम व सद्भाव को समाप्त ना करें। श्रद्धा व विश्वास से ही अंत करण में स्थित परमात्मा को देख सकते हैं। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय में हो उठा व श्री गुरु महाराज,कामां के कन्हैया व लाठी वाले भैय्या की जय जयकार से गूँज उठा।
इस दौरान ऊधम सिंह नगर में किच्छा, लालपुर, रूद्रपुर, दानपुर व गदरपुर में पहुंचने पर क्षेत्रीय, स्थानीय व दूरदराज से आए भक्तजनों ने फूल मालाएं पहनाकर, पुष्प वृष्टि करते हुए आरती उतारकर “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया” “लाठी वाले भैया” की जय जयकार के साथ पूर्ण धार्मिक रीति से भव्य व अभूतपूर्व स्वागत किया। रूद्रपुर व दानपुर में सुन्दर काण्ड पाठ का भी आयोजन किया गया । शुक्रवार (आज) महाराज हरेश्वर धाम, गढीनेगी में विराजेंगे।