पाकिस्तान द्वारा घुटने टेकने के बाद थमा भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन से चल रहा संघर्ष

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नई दिल्ली। पाकिस्तान द्वारा घुटने टेकने के बाद फिलहाल भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन से चल रहा संघर्ष थम गया है। भारत ने शाम पांच बजे से संघर्ष विराम का एलान किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि संघर्ष विराम के लिए भारत अपनी शर्तों पर तैयार हुआ है। संघर्ष विराम के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रहेगा। 
 
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि युद्ध विराम की कोई पूर्व या पश्चात शर्त नहीं है। संघर्ष विराम का आह्वान पाकिस्तान की ओर से किया गया था। सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी। 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने सबसे पहली जवाबी कार्रवाई सिंधु जल संधि को निलंबित कर की थी। दोनों देशों के बीच चार युद्धों और दशकों से जारी सीमा पार आतंकवाद के बावजूद इस संधि को बरकरार रखा गया था। सिंधु नदी के जल पर पाकिस्तान की 70 फीसदी कृषि निर्भर करती है। कई शहरों के लिए पेयजल की आपूर्ति भी इस नदी से की जाती है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता। 
 
सिंधु जल समझौता, 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक जल-बंटवारा समझौता है। इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इस समझौते का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवादों को रोकना था। इस संधि के तहत, हिमालय के सिंधु नदी बेसिन की छह नदियों को दो भागों में बांटा गया है। पूर्वी नदियों
ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलता है जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का कंट्रोल पाकिस्तान के पास आया। समझौते के तहत भारत को लगभग 30 प्रतिशत और पाकिस्तान को 70 प्रतिशन पानी का हक मिला। इस समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का पानी भारत को पाकिस्तान में जाने देना होगा। सिंधु जल संधि को रोकने के भारत के कदम से पाकिस्तान परेशान हो गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही सूखे का संकट झेल रहा है। भारत की ओर पानी बंद कर देने से संकट और बढ़ गया।पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा था कि हम तीन अलग-अलग कानूनी विकल्पों की योजना पर काम कर रहे हैं। इस मामले को स्थायी मध्यस्थता न्यायालय या हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और विश्व बैंक में ले जाने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन पाकिस्तान को तीनों जगह से राहत कम मिलने की उम्मीद है।
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