खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी। 22 अप्रैल कॉमरेड लेनिन की 152वीं जयंती के साथ ही भाकपा (माले) की स्थापना की 53वीं वर्षगांठ भी है। इस अवसर पर भाकपा(माले) के सदस्यों और समर्थकों द्वारा पार्टी कार्यालय बिंदुखत्ता में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत कॉमरेड लेनिन और भाकपा (माले) के संस्थापक और दिवंगत नेताओं और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। जिसके बाद सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए लोकतंत्र और आम लोगों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के पार्टी के संकल्प को दुहराते हुए पार्टी स्थापना दिवस पर भाकपा (माले) को फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध की एक जीवंत, प्रतिबद्ध और शक्तिशाली ताकत के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर भाकपा (माले) के जिला सचिव डॉ कैलाश ने कहा कि, ‘हर चुनावी जीत भाजपा और संघ ब्रिगेड को अपने फासीवादी हमले को तेज करने के लिए बढ़ावा देती है। इस बार, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी की जीत के बाद सरकार ने एक तरफ तो ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार भारी बढ़ोतरी करके आम लोगों पर आर्थिक युद्ध तेज कर दिया है, साथ ही नफरत और भय का माहौल बनाकर और हिंसा भड़काकर लोगों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी कर रही है।’ कामरेड कैलाश ने कहा कि, ‘जैसे जैसे संकट गहराता जा रहा है, लोगों को हतोत्साहित किया जा रहा है और भाजपा शासन और आरएसएस की विचारधारा को भारत के लिए अपरिहार्य नियति के रूप में स्वीकार करने के लिए धमकाया जा रहा है। लेकिन भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ हमें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की शक्तिशाली क्रांतिकारी विरासत और भगत सिंह, अम्बेडकर और पेरियार और उनसे पहले के उपनिवेशवाद विरोधी-जाति विरोधी समाज सुधारकों द्वारा प्रज्वलित एक स्वतंत्र, प्रगतिशील और समतामूलक भारत बनाने के महान सपनों की याद दिला रही है। स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को तेज करके उस विरासत को आगे बढ़ाने और भारत को फासीवादी चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी अब हम पर है। इसके लिए सभी वामपंथी, प्रगतिशील और लड़ने वाली ताकतों की हमें एक मजबूत एकता बनाने और आम लोगों के एजेंडे और संघर्षों को चुनावी क्षेत्र में एक शक्तिशाली दावेदारी की ओर की जरूरत है।’ वरिष्ठ माले नेता कामरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, ‘पिछले दो साल कोविड-19 महामारी और इससे निपटने के नाम पर राज्य द्वारा लागू किए गए निर्मम लॉकडाउन के साए में रहे. इसके बावजूद, भारत की आम जनता और हमारी पार्टी ने कई बुनियादी मांगों और अधिकारों के लिए सफलतापूर्वक संघर्ष किये हैं। ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को कॉरपोरेट-हितों को साधने के लिए लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया है। बटाईदारों सहित सभी वर्गों के किसानों के लिए सभी फसलों पर उचित एमएसपी, मेहनतकश जनता पर लादे गए सभी कर्जों को समाप्त करने के लिए, मजदूर वर्ग और नौकरी खोजने वालों के लिए सुरक्षित नौकरी और उचित मजदूरी और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने व मुट्ठी भर कॉर्पोरेटों को सौंप देने पर रोक लगाने के लिए लड़ाई अभी भी जारी है।’
स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य रूप से बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश, ललित मटियाली, भुवन जोशी, विमला रौथाण, नैन सिंह कोरंगा, किशन बघरी, बिशन दत्त जोशी, हरीश भंडारी, स्वरुप सिंह दानू , शिव सिंह आदि उपस्थित रहे।