सहस्त्रताल में फंसे चार और ट्रैकरों की हुई मौत, अब तक कुल आठ ट्रेकरों की हुई मौत  

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देहरादून। उत्तरकाशी-टिहरी जनपद की सीमा पर करीब 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्रताल में फंसे कर्नाटक, महाराष्ट्र के चार और ट्रैकरों की मौत हो गई है। अब तक आठ ट्रैकरों की जान जा चुकी है। वहीं दस ट्रैकरों को एयरलिफ़्ट कर सुरक्षित निकाला जा चुका है।
 
 
 
29 मई को एक 22 सदस्यीय दल मल्ला- सिल्ला से कुश कुल्याण बुग्याल होते हुए सहस्त्रताल की ट्रैकिंग के लिए निकला था। यहां चार ट्रैकर की ठंड लगने से मौत हो गई। 18 ट्रैकर वहां फंसे थे, इनमें से आज चार ट्रैकर की और मौत हो गई। जिला प्रशासन के अनुरोध पर वायु सेना के दो चेतक हेलिकॉप्टर अभियान में लगाए गए हैं। दस ट्रैकरों को सुरक्षित लाया जा चुका है। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया है कि सहस्त्रताल की ट्रैकिंग रुट पर फंसे ट्रैकर्स को रेस्क्यू करने के लिए एसडीआरएफ व वन विभाग के रेस्क्यू दल अलग-अलग दिशाओं से घटना स्थल के लिए गए हैं। वन विभाग की दस सदस्यों की रेकी व रेस्क्यू टीम सिल्ला गांव से आगे गई है। जबकि जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से एसडीआएफ के दल ने भी टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार की तरफ से रेस्क्यू शुरू किया। इस रेस्क्यू अभियान के समन्वय में जुटे पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि एसडीआरएफ की माउंटेनियरिंग टीम भी
देहरादून से हेलिकॉप्टर से एरियल रैकी के लिए गई है। साथ ही सहस्त्रताल ट्रेक रुट पर फंसे ट्रैकर्स को निकालने के लिए वायु सेवा के द्वारा भी सर्च एवं रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है।
 
 
 
वर्ष 2022 में हुए निम के द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे में भी 28 पर्वतारोहियों की हिमस्खलन की चपेट में आने से मौत हुई थी। हादसे के बाद से एक व्यक्ति आज भी लापता है। वर्ष 2022 में हुए  हादसे के बाद दूसरा बड़ा हादसा है। जिला अस्पताल उत्तरकाशी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भटवाड़ी को अलर्ट पर रखा गया है। आईटीबीपी मातली से भी 14 रेस्क्यूअर्स और एक डॉक्टर को भेजा गया है। एनआईएम से भी बैक अप टीम रवाना की गई है। रेस्क्यू अभियान को लेकर जिले का आपदा कंट्रोल रूम मंगलवार शाम से ही निरंतर सक्रिय है। कंट्रोल रूम को मिली जानकारी के अनुसार टिहरी जिला प्रशासन द्वारा भी हेली रेस्क्यू के लिए अरदंगी हैलीपेड को अलर्ट मोड पर रखा गया है। जहां पर एंबुलेंस टीम, लोनिवि व पुलिस की टीम तैनात की गई है। खोज बचाव के लिए टिहरी से भी वन विभाग, एसडीआरएफ पुलिस व स्थानीय लोगों की टीम रवाना की जा रही हैं, जो कि घनसाली के पिंस्वाड से पैदल रवाना होगी। 
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