खबर सच है संवाददाता
भरतपुर। संसार के सभी जीव मोहरूपी रात्रि में सोए हुए हैं। मोह नींद में सोए उन जीवों को जगाने ही आते हैं सभी संत, महापुरुष यहाँ तक कि परमात्मा भी, यह उदगार मंगलवार (आज) श्री हरिकृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने भरतपुर में विशाल समुदाय को संबोधित करते हुए कहे। महाराज श्री ने कहा कि इस संसार रूपी रात्रि में मात्र परमार्थी व प्रपंच से वियोगी लोग ही जागते हैं। जीव को जगा हुआ तभी जानना चाहिए जबकि उसे सभी विषयों व विलासताओं से वैराग्य हो जाए, उठो, जागो व अपने लक्ष्य की ओर बिना रुके तब तक चलते रहो जब तक कि तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, शास्त्रों का भी यही उद्घोष है। व्यक्ति जन्म ,रूप, कुल, वैभव आदि से नहीं अपितु अपने कर्मों से महान बनता है।
उन्होंने अपने दिव्य प्रवचनों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सुमति व कुमति हर प्राणी के अंदर सदैव रहती है। कब कौन सी बुद्धि उजागर हो जाए कोई कुछ कह नहीं सकता। हाँ अच्छे संग से सुमति व बुरे संग से कुमति ही उत्पन्न होगी। तथा जहाँ सुमति होगी वहाँ सुख, सम्पत्ति तथा जहाँ कुमति होती है वहाँ दुःख व विपत्तियां मंडराने लगती है। जब हितैषी शत्रुवत तथा शत्रु मित्रवत लगने लगे तो समझ लो कि कुमति उजागर हो रही है। जो की विनाश का कारण बनेगी। अत: कुमति को त्यागकर सुमति के पथ का ही अनुसरण करना चाहिए। बताते चलें कि परम पूज्य श्री महाराज जी आज कम्पनी बाग कालोनी भरतपुर, आदर्श विद्या मन्दिर भरतपुर व ब्रज भूषण मंदिर कोटवन कोसी मथुरा में आयोजित सामूहिक विवाह समारोहों में भक्तों के बीच उपस्थित रहें जहां उन्होंने अपने दर्शनों व दिव्य अमृत वचनों से उपस्थित हज़ारों लोगों को कृतार्थ किया।