खबर सच है संवाददाता
भीमताल। कहते है कि यदि करने की लालसा हो तो बड़े से बड़ा कार्य भी सरलता से पूर्ण हो जाता है। जिसका ज्वलन्त उदाहरण प्रस्तुत किया है राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सूर्यागाँव के शिक्षकों ने।
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र के इस उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षको ने बिना किसी सरकारी आर्थिक सहयोग के शिक्षा के साथ-साथ अच्छे ज्ञान और उत्तम प्रशिक्षण से विद्यालय की खूबसूरती में चार चांद ही नहीं लगाए, वरन निष्प्रयोज्य वस्तुओं के उपयोग की बेहद खूबसूरत कला का प्रदर्शन कर बच्चों में सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने का भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
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राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सूर्यागांव की प्रभारी प्रधानाध्यापक लक्ष्मी काला ने अपने सहयोगी शिक्षक संतोष जोशी व बीनू पाठक एवं विद्यालय में पढ़ रहे छोटे-छोटे बच्चों की मदद से पुराने न्यूज़पेपर पेपरमेशी, प्लास्टिक बोतलों आदि के द्वारा विद्यालय में 3d वॉल पेंटिंग, मूर्ति कला, अफ्रीकन डॉल्स, टोकरी बनाना, कैंडल्स निर्माण, निष्प्रयोज्य पड़ी बोतलों से क्यारी निर्माण, चाहरदीवारी निर्माण (ट्रैन का लुक) जो सातताल आये पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है का निर्माण कर दिखाया। जिसे देख कर यह कहने में कतई संकोच नहीं कि देश के संसाधनों का उत्तम उपयोग से शिक्षा राष्ट्रीय आय बढ़ाती है और सामजिक विकास में भी वृद्धि करती है। विद्यालय में नए-नए प्रयोग द्वारा पढ़ाई के साथ समय-समय पर नवाचार गतिविधियां भी करायी जाती हैं जिससे बच्चे स्वाध्याय के साथ रोजपरक शिक्षण से आत्मनिर्भर बन सके। यहीं वजह है कि इस विद्यालय के बच्चे राज्य व राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता में आगे भी रहे हैं।
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