खबर सच है संवाददाता
देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कई बार भूकम्प के झटके महसूस किये गए है। बेशक भारी नुकसान की खबर यदाकदा ही देखने को मिली लेकिन आमजन में दहशत जरूर रही है। उत्तराखंड में भी अकसर महसूस किये जाने वाले भूकम्प के झटकों पर वैज्ञानिकों ने शोध कर खतरों की आशंका जताई है।
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https://khabarsachhai.com/2021/06/10/the-water-flow-in-binsar-mandir-ranikhet/ https://khabarsachhai.com/2021/06/08/special-edition-by-editor/वैज्ञानिकों के अनुसार अकेले धारचुला क्षेत्र में ही पिछले तीन सालों में वैज्ञानिकों ने 4.4 तीव्रता के तीस से अधिक भूकंप रिकार्ड किए हैं।
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वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने नेपाल सीमा से लगे काली गंगा घाटी में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों के कारणों का पता लगा लिया है। साथ ही वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की आशंका जाहिर की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धारचूला क्षेत्र के नीचे एक ऐसी भूगर्भीय संरचना का पता लगाया गया है, जो इस क्षेत्र में बार-बार आ रहे भूंकप के झटकों के लिए जिम्मेदार है। वाडिया के वैज्ञानिकों का यह शोध मई 2021 में ‘जियोफिजिकल जर्नल इंटरनेशनल’ व टेक्टोनोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध में कहा गया है कि उत्तर पश्चिमी हिमालय के मुकाबले कुमाऊं हिमालय में क्रस्ट लगभग 38-42 किमी मोटा है। यह क्रस्ट इस क्षेत्र में सूक्ष्म और मध्यम तीव्रता के भूकंपों के लिए जिम्मेदार है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. देवजीत हजारिका के नेतृत्व में एक टीम ने धारचूला और कुमाऊं हिमालय के आसपास के क्षेत्र में भूकंप के कारण जानने को काली नदी के किनारे 15 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए और तीन वर्ष तक अध्ययन किया। यदि इस क्षेत्र में भूकंप आया तो कम से कम एक लाख की आबादी प्रभावित होगी। साथ ही पड़ोसी देश नेपाल पर भी इसका असर पड़ेगा।
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