खबर सच है संवाददाता
बरेली। दुनिया भर में बरेली के सुरमे को पहचान दिलाने वाले 76 वर्षीय एम हसीन हाशमी नहीं रहे। शुक्रवार दोपहर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। देर रात हुसैन बाग के कल्लू शाह तकिया कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया। सैकड़ों नम आंखों ने उन्हें विदाई दी।
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एम हसीन हाशमी बरेली में सुरमा कारोबार को स्थापित करने हाशमी परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य थे। उन्होंने 1971 में यह कारोबार संभालने के बाद उसे ऊंचाइयों तक पहुंचाया और देश और देश के बाहर तक शोहरत दिलाई। उनके बेटे शावेज ने बताया कि उनकी तबीयत काफी समय से खराब थी, वे घर पर ही इलाज करा रहे ते। दोपहर तक वह सभी से बातचीत करते रहे। करीब साढ़े 12 बजे अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद 1:05 बजे उनका इंतकाल हो गया। रात 10 बजे जामा मस्जिद पर नमाजे जनाजा के बाद देर रात कल्लू शाह के तकिया में उन्हें सुपुर्दे खाक कर किया गया।
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लोगों की मदद करने और मिलनसार रवैये की वजह से शहर में काफी लोग एम हसीन हाशमी के कद्रदान थे। उन्हें कौमी एकता की मिसाल भी कहा जाता था। 1991 वह सभासद का चुनाव जीते और बरेली नगर महापालिका के उपाध्यक्ष बने। 1980 में उन्होंने जुलूसे मोहम्मदी की शुरूआत की।
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