ए मेरे गुरुदेव करुणा सिंधु कृपा कीजिये, हूं अधीम आधीन ईश्वर अब शरण में लीजिए….
स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज के सानिध्य में विराट रूप से मनाया गया गुरु पूर्णिमा महोत्सव
कामा/भरतपुर। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर श्री हरि कृपा आश्रम कामां में हरि नाम संकीर्तन एवं गुरु पूजन के साथ आयोजित किया गया विराट धर्म सम्मेलन। प्रातः काल नित्य आरती, तीर्थराज विमल कुण्ड का दुग्धाभिषेक व महाआरती, जिसके बाद रामचरित मानस पाठ का समापन, महाराज श्री के दिब्य प्रवचन, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवार का सम्मान और प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भजन प्रस्तुति व हजारों की संख्या में उपस्थित हरि भक्तो के लिए माँ अन्नपूर्णा का विशाल भण्डारा आयोजित हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत जहां अपर जिलाधिकारी की धर्मपत्नी द्वारा सुन्दर गायन प्रस्तुति ” केसरिया बालमा पधारो म्हारे देश…” से करी गईं, वहीं मुरादाबाद से पधारे अतिथि गायक कलाकार पप्पू लहरी ने “मेरे गुरुवर के जैसा दूसरा न कोई”, बृजभूमि के गायक टेकचंद शर्मा ने ” चारो धामों से निराला बृज धाम, दर्शन कर लो सुमरन कर लो जी…, गायक गोबिंद सैनी ने “गुरु की राह पर चल तुझको मंजिल मिले..” अमरोहा (उत्तर प्रदेश) से पधारी नीता भटनागर ने “श्याम आएं नैनन में, बन गईं में सांवरी.., बृज भूमि के राष्ट्रीय कवि कैलाश सोनी स्वर्णिम ने गुरु महिमा को शब्दो की माला में पिरोते हुए कहा कि “आपके आशीष से ही ज्ञान का प्रकाश मिला, गुरु की साधना में ही ईश की आराधना है..” तो वेणु कला केन्द्र वृन्दावन की छात्राओं द्वारा कथक नृत्य नाटिकाओं व उपस्थित तमाम गायको की सुन्दर स्वर लहरियों एवं महाराज श्री के सानिध्य में प्रेम और भक्ति में सराबोर हरि भक्त “गुरुदेव जबसे मिले है हमको, ये जिंदगानी बदल गईं है..” गुनगुनाने लगे। ऐसा लग रहा था कि जैसे साक्षात माधव गोपाल गुरु रूप में यहां प्रकट हुए है।
इस दौरान महाराज श्री ने कहा कि गुरु की इससे ज्यादा वर्णन क्या हो सकता है कि हर लोक में अवतार लेकर परमात्मा भी गुरु की सेवा करता है, गुरु का वंदन, गुरु की आज्ञा का पालन करता है। जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाए, वही सच्चा गुरु होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश वहीं उच्च नाता आज अंधे और बहरे का नाता नजर आ रहा है, वह गुरु अंधा है जो शिष्य की कमियां नहीं देखता यदि देखता है तो उन्हें बताता नहीं, तुच्छ स्वार्थों के कारण। तथा वह शिष्य बहरा है जो गुरु के उपदेश को सुनता नहीं, यदि सुनता है तो समझकर जीवन में नहीं उतारता। यद्यपि गुरु का बहुत ही उच्च स्थान है, यदि यह कह दिया जाए कि गुरु ही ब्रह्मा (सद्गुणों को उत्पन्न करने वाला),गुरु ही विष्णु (उपदेशों के द्वारा उन सद्गुणों का पालन करने वाला), गुरु ही शंकर (जो कि दुर्गुणों व विकारों का संहार करने वाला) है। परम ब्रह्म परमात्मा का पृथ्वी पर देहधारी स्वरूप है सद्गुरु, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यदि यह भी कह दिया जाए कि ब्रह्मा, विष्णु,शंकर इत्यादि भी बिना गुरु के भवसागर से पार नहीं हो सकते तो अतिशयोक्ति नहीं, परंतु इतना उच्च पद रखने वाला गुरु यदि शिष्य को उसकी वास्तविकता से अवगत नहीं कराता, उसके संदेह, अज्ञान आदि का निवारण नहीं करता, कथनी व करनी के अंतर को मिटाकर उपदेश नहीं करता, मात्र उसका धन हरण करता है ऐसा गुरु अपने शिष्यों को नरक की यात्नाओं से क्या बचाएगा वह तो स्वयं ही नर्क गामी होगा।
उन्होंने जिस सतगुरु की सेवा करके श्री राम, श्री कृष्ण इत्यादि अवतारों ने भी उसकी महिमा को प्रतिस्थापित किया है। उस गुरु की महिमा को करने की सामर्थ्य हमारी नहीं हो सकती। परंतु इतना तो अवश्य कह सकते हैं कि शिष्य को, गुरु को एक मानव नहीं मानव रूप में साक्षात परमात्मा का स्वरूप समझे, पर गुरु स्वयं को भगवान ना समझ बैठे। शिष्य अपना तन, मन, धन सब सद्गुरु के चरणो में अर्पण कर दें, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि गुरु सब कुछ लेकर चलता बने। जो शिष्य के धन, संपत्ति इत्यादि पर ही नजर रखता है, वह गुरु कहलाने लायक भी नहीं हो सकता। आजकल दुर्भाग्यवश तथा कथित गुरुओं की ही बाढ़ आ गई है। हम सभी सद्गुरु के बताए रास्ते पर चलें, हम गुरुओं की पूजा करते हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी व सच्ची सेवा पूजा उस शिष्य ने की है जो उनके बताए रास्ते पर चलते हैं।
पूर्व सीएम उत्तराखण्ड हरीश रावत ने श्री महाराज जी को राष्ट्र का गौरव व विश्व शान्ति के सम्वाहक व मानवता के परम पोषक बताते हुए कहा कि महाराज श्री सदैव सरल, सादगी और त्याग की जीती जागती मिसाल रहें है, जिन्होंने आडंबर का विरोध और वास्तविकता को ही अपना मार्ग चुनते हुए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया। यही वजह है कि आज विश्व भर में करोड़ो लोग महाराज श्री के अनुयायी बने है। पूर्व सीएम रावत ने अपने 44 साल पूर्व के श्री महाराज जी से भेंट व पद यात्रा के दौरान चमत्कारों की भी चर्चा की।
महाराज श्री की आरती करते पूर्व सीएम उत्तराखण्ड हरीश रावत
पूर्व सीएम उत्तराखण्ड हरीश रावत ने विशाल वृक्षारोपण का शुभारंभ व सत्संग भवन का उद्घाटन भी श्री महाराज जी के साथ किया।
महाराज श्री के दर्शनार्थ एवं आशीर्वाद लेने कई दिन पूर्व से लगातार हजारों-लाखों की संख्या में हरि भक्त हरि कृपा आश्रम कामां आ रहें है, वहीं गुरु पूर्णिमा के विराट धर्म सम्मेलन के सुअवसर पर आज भी पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड हरीश रावत, एडीएम रामजी लाल वर्मा, एडीएम अजमेर भवानी सिंह पालावत (परिवार सहित), बिरला समूह के सीईओ मालपानी, सहायक आयुक्त देवस्थान राजस्थान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी हाथरस (उत्तर प्रदेश) मंजीत सिंह सहित कई नेता, मंत्री, न्यायाधीश, अधिकारी व अनेकानेक गणमान्य लोग श्री हरि कृपा आश्रम पहुंचे।
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