खबर सच है संवाददाता
नैनीताल। नगर में नंदाष्टमी की सभी तैयारियां पूरी होने के साथ मां नंदा सुनन्दा की प्रतिमाएं नयना देवी मंदिर में विराजमान होते ही दर्शन को भक्तों की भीड़ जुटने लगी और मंदिर परिसर नंदा सुंदा मां के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
श्री राम सेवक सभा द्वारा आयोजित 123 वे श्री नंदा देवी महोत्सव में स्थानीय लोक पारंपरिक कलाकारों द्वारा नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण को भब्य एवं जीवंत रूप दिया गया है। मां नंदा जो हिमालय संस्कृति के साथ शक्ति की देवी से रूप में कुलदेवी में पूजित है।जबकि सुनंदा उनकी सहचरी स्वरूप मानी जाती हैं। नंदा-सुनंदा की पूजा स्त्री-शक्ति और बहनत्व का प्रतीक मानी जाती है। इस अवसर पर नगर और ग्रामीण अंचलों से भक्तजन डोला और छंतोली सजाकर मंदिरों में पहुंचते हैं।
प्रतिमा स्थापना के बाद रविवार को मंदिर परिसर में दिनभर भजन, कीर्तन, झोड़ा-चांचरी और लोकनृत्यों की गूंज रहेगी। मेले में धार्मिक आयोजन के साथ ही हस्तशिल्प, स्थानीय व्यंजन और ग्रामीण उत्पादों की दुकानों से भी रौनक बढ़ जाती है। दूर-दराज़ से आए श्रद्धालु और पर्यटक इस लोकपर्व का हिस्सा बनते हैं। नंदा-सुनंदा पूजा महज धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक है।
मां नंदा-सुनंदा पूजा की परंपरा का ऐतिहासिक पहलू अत्यंत समृद्ध है। मान्यता है कि यह परंपरा कुमाऊं के चंद राजाओं के समय से शुरू हुई। लोकदेवी की आराधना और राज्य की समृद्धि से शुरू यह उत्सव नगर और गांवों की सामूहिक आस्था का पर्व बन गया। आज भी इस पूजा में वही ऐतिहासिक गौरव झलकता है,जो सदियों पहले लोगों की धार्मिक भावनाओं और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करने के लिए प्रारंभ हुआ था।




