मातृभूमि, मां व मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु  

ख़बर शेयर करें -

खबर सच है संवाददाता

दस दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन में उमड़ा भक्तों का अपार जन सैलाब 

रामनगर। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने श्री हरि कृपा आश्रम रामनगर में उपस्थित विशाल भक्त सुमदाय को संबोधित करते हुए कहा कि मां जगदंबा की आराधना व पूजा के साथ-साथ अपने जन्म देने वाले माता-पिता, मातृभूमि, भारत माता, गौ माता, गंगा माता, गीता माता आदि का भी सम्मान करकें उनका मार्गदर्शन जीवन में अपनाएं। इन सबका निरादर करने पर मां जगदंबा भी प्रसन्न होने वाली नहीं है। प्रेम, सौम्यता, संस्कार, मृदुता , वात्सल्य, दया, ममता, सरलता स्नेह, लता, मधुरता, मिठास, अपनापन, उदारता सहनशीलता, विशालता, क्षमा का जहां दर्शन हो उसे मां कहते हैं। जिसकी कोई उपमा न दी जा सके वह है मां। जिसकी कोई सीमा नहीं वह है मां। जिसके प्रेम को कभी पतझड़ स्पर्श ना करें उसका नाम है मां। परमात्मा, महात्मा, मां प्रभु पाने की प्रथम सीढ़ी है। तलहटी की अवहेलना करके शिखर छूने की कोरी कल्पना मूर्खता है। मां की अवहेलना करके परमात्मा नहीं मिलेंगे। जहां में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं। बचपन में गोद देने वाली को बुढ़ापे में दगा देने वाला मत बनना। मां कैसी हो? इतना ही पूछ लो उसे सब कुछ मिल गया। 

अपने दिव्य प्रवचनों में उन्होंने कहा कि जन्म सार्थक उसी का है जिसका जीवन उत्थान की ओर हो पतन की ओर नहीं। परमात्मा एक है उनके नाम उपासना विभिन्न हो सकते हैं हम सभी उस एक ही सर्वशक्तिमान की संतान हैं जो जीव मात्र का परम सुहृदय व हितैषी है। कर्म के साथ-साथ उसमें पूर्ण व दृढ़ विश्वास करो। प्रभु की कृपा निश्चय ही समस्त बंधनों, समस्त विपत्तियों व समस्त कठिनाइयों से उबार लेगी। कैसा भी पापी यदि प्रभु शरण में आ जाए तो वे उसे साधु या भक्त बना लेते हैं। उसे सनातन शांति मिल जाती है। उस भक्त का कभी पतन नहीं होता। व उनकी कृपा सारे सकंटो से अनायास ही उभार लेती है। यदि प्रयास के साथ-साथ ईश्वर की महानता पर भी विश्वास हो तो निश्चय ही हम दुखो से मुक्त हो सकते है।अत: प्रतिकूल परिस्थितियों में जब चारों ओर केवल निराशा और धोर अंधकार ही दिखाई दे, अशांति की भयानक आंधी हो उस समय पूर्ण दृढ़ विश्वास के साथ प्रभु चिंतन करते हुए चिंताओं का परित्याग करके अपना कर्म करो। अपने सुख दुख, सांसारिक प्राणियों के सामने रोने के बजाएं सतगुरु या परमात्मा के सामने ही रोना चाहिए।

महाराज श्री ने कहा कि तीर्थ स्थलों, उपासना स्थलों, प्राकृतिक रमणीय स्थलों, हिमालय इत्यादि में शांति मिलती है लेकिन उस शांति को बरकरार रखना या ना रखना हमारे ऊपर निर्भर करता है। परमात्मा का स्मरण मात्र मुख से नहीं, साथ ही हृदय से यदि हो तो विशेष लाभदायक होता है। धर्म से, गुरु से या किसी संत से अथवा परमात्मा से यदि आप जुड़े हैं तो आपका और भी उत्तर दायित्व हो जाता है कि आपके खानपान,रहन सहन,बोलचाल, व्यवहार, आचरण व स्वभाव आदि से लगे कि आप धर्म,सतगुरु या परमात्मा से जुड़े हो। पापाचार, अनाचार तथा बुराइयों को त्याग कर सत्कार्य करें तभी हमारा सत्संग में आना,मंदिरों, तीर्थों तथा विभिन्न धर्मस्थलों में आना,पूर्ण सार्थक होगा। अधर्माचरण करने वाले कुमार्गगामी लोगों का संग त्यागकर जितेन्द्रिय, श्रेष्ठ,महापुरुषों का संग व उनकी सेवा करके अपने जीवन को कल्याणमय बनाये। क्योंकि सत्पुरुषों का आचरण व कार्य सदैव अनुकरणीय होता हैं। पशु-पक्षी तुल्य मात्र अपने तक ही सीमित ना रहे अपितु दूसरों के भी काम आए दूसरों का दुख दर्द समझे। किसी भी प्रकार से किसी को दुख या कष्ट ना पहुंचाएं। जो सुख का अभिमानी दूसरों को दुख में देखकर प्रसन्न होता है उसे एक दिन स्वयं भी दुखी होना पड़ता है। प्रभु प्रेम में आंसू बहाने वाले को दुख में आंसू नहीं बहाने पड़ते। जीवो पर करुणा व दया बरसाएं। पूर्ण रुपेण अहिंसा व्रत का  पालन करें। बर्हिमुखता त्याग कर अन्तर्मुख होंगे तो भक्ति पथ पर आगे  बढ़ते हुए परमात्मा का साक्षात्कार कर सकोगे।अभ्यास के द्वारा मन की चंचलता को रोके। अपने धाराप्रवाह प्रवचनों से महाराज श्री ने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भावविभोर  कर दिया। सारा वातावरण भक्ति मय  में हो उठा। 

बताते चलें कि श्री हरि कृपा आश्रम रामनगर में नवरात्रि महोत्सव उल्लास पूर्वक धूमधाम से रविवार (कल) से प्रारम्भ हुआ है। जिसमें स्थानीय, क्षेत्रीय व दूरदराज़ से दिनभर हज़ारों श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहा। सभी ने श्री महाराज जी के दर्शन, माँ जगदम्बा की पूजा व श्री महाराज जी के दिव्य व प्रेरणादायी प्रवचनों का लाभ उठाया। यहां नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष में नित्य प्रातः 6:30 बजे से 8:00 बजे तक व सायं  5:30 से 6:00 बजे तक मां जगदंबा की भव्य पूजा अर्चना का धार्मिक विधि विधान से आयोजन किया जाता है। 4 अक्तूबर तक रोज़ सांय 4 बजे से श्री महाराज जी के दिव्य प्रवचन होंगे । तथा 5 अक्तूबर को प्रातः 10-1 बजे तक भजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम व श्री महाराज जी के दिव्य प्रवचन होंगे। 

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 हमारे समाचार ग्रुप (WhatsApp) से जुड़ें

👉 हमसे फेसबुक पर जुड़ने के लिए पेज़ को लाइक करें

👉 ख़बर सच है से टेलीग्राम (Telegram) पर जुड़ें

👉 हमारे पोर्टल में विज्ञापन एवं समाचार के लिए कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें या +91 97195 66787 पर संपर्क करें।

TAGS: mother and mother tongue - Sri Hari Chaitanya Mahaprabhu nainital news Nawaratri news ramnagar news Shri hari chaitany mahaprabhu Shri hari kripa aashram There is no substitute for motherland Uttrakhand news

More Stories

शिक्षा-आध्यात्म

योग्यता से अधिक महत्वकांक्षी नहीं होना चाहिए- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु  

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें -खबर सच है संवाददाता रामनगर। सच्चा भाव ही सच्ची उपासना है। सच्चे हृदय से प्रेम व श्रद्धा पूर्वक की गई प्रार्थना को परमात्मा अवश्य ही सुनते हैं, चाहे व्यक्ति को वेद, शास्त्र, पुराणों का ज्ञान ना हो। आज हमारी, हमारे परिवार की देश की व समाज की जो दुर्दशा हो रही है […]

Read More
शिक्षा-आध्यात्म

सनातन धर्म का ना आदि है ना अंत- स्वामी श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें –  खबर सच है संवाददाता गढीनेगी पहुंचने पर हुआ स्वामी श्री हरि चैतन्य महाप्रभु का भव्य व अभूतपूर्व स्वागत  गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एंव विश्व विख्यात संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ श्री हरि कृपा धाम आश्रम गढीनेगी में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित […]

Read More
शिक्षा-आध्यात्म

माँ जगदम्बा की कृपा से मिटते हैं सारे कष्ट – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

ख़बर शेयर करें -

ख़बर शेयर करें -खबर सच है संवाददाता 10 दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन में भक्तों का अपार जनसैलाब उमड़ा।  रामनगर। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहां श्री हरि कृपा आश्रम चित्रकूट में विशाल भक्त समुदाय को […]

Read More