हाकम क्या अपने पांव चल रहा था या फिर उसको चलने की व्हील चेयर सत्ता पर काबिज हाकिम ने उपलब्ध कराई थी। हर रोज हाकम एक, हाकम दो, हाकम अट्ठाइस एसआईटी के मेहमान बन रहे है, लेकिन हाकम चार सौ बीस का सिग्नल एसआईटी की रडार पर नहीं आ रहा। जबकि हाकिमों की कोल्ड वॉर सोशल मीडिया सहित जनता जनार्दन तक स्पष्ठ सन्देश दे रही कि हाकम नहीं हाकिम चला रहे थे इस खेल को।
हरीश रावत, त्रिवेन्द्र रावत को कुसूरवार ठहरा रहे तो अब पूर्व मंत्री अरविंद पाण्डे भी अपने रिश्तेदारों को बांटी गई रेवड़ी को लेकर चर्चा में आ गए है। सोशल मीडिया में वायरल लिस्ट में पूर्व मंत्री द्वारा एक नहीं बल्कि अपने कुनबे के कई लोगों को सरकारी रेवड़ी देकर “अंधा बांटे रेवड़ी..” की चरितार्थ को साबित कर दिखाया है। वायरल सूत्रों के अनुसार सिर्फ अरविंद पाण्डे ही नहीं प्रेम चंद अग्रवाल, गोविंद सिंह कुंजवाल, रेखा आर्या एवं अन्य कई महानुभावों का नाम भी रेवड़ी बाटने वालों की सूची में सुर्खियों में है। लेकिन एसआईटी के रडार के गिरफ्तारी मीटर की सुई सिर्फ हाकम जैसे मोहरों पर ही आकर अटक गई है। शायद सत्ता का ओहदेदार चुम्बक मेकेनिकल रूप से इतना दमदार है कि एसआईटी के गिरफ्तारी मीटर की सुई को भी जाम कर देर रहा। हालांकि यह भी चर्चा में है कि ‘धामी टू’ भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कवच-कुंडल पहन कर ही जंग में उतरे है और जब तक कोई बहरूपिया उनसे कवच-कुंडल दान स्वरूप मांग कर नहीं ले जा पाता वह निर्भीकता से भ्रष्ट्राचार से लड़ते रहेंगे।
बहरहाल यह तो स्पष्ट है कि बिना हाकिम के कोई भी हाकम चार सौ बीसी के खेल का गैम्बलर नहीं बन सकता। फिर यह जानते हुए भी सरकार इस प्रकरण को हायर एजेंसी को क्यों नहीं सौंपती।