खबर सच है संवाददाता
नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से बैंक प्राइवेटाइजेशन को लेकर लगातार खबरें आ रही थी।लोकसभा की हरी झण्डी मिलने के साथ अब जारी मॉनसून सत्र में सरकार ने इंश्योरेंस लॉ अमेंडमेंट को पेश करते हुए इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की तैयारी कर ली है। सरकारी इस सेक्टर में केवल रणनीतिक रूप से बने रहना चाहती है। वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए दो बैंकों और एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का ऐलान किया था। इंश्योरेंस कंपनी का भी निजीकरण चालू वित्त वर्ष में ही किया जाएगा।
सरकार उस नियम में बदलाव करना चाहती है जिसके तहत सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टर्स कंपनी में 74 फीसदी तक हिस्सेदारी खरीद सकते हैं, जबकि मैनेजमेंट और कंट्रोल भारत सरकार के पास ही रहेगा।
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वर्तमान में देश की चार सरकारी साधारण बीमा कम्पनियां है, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड। नए बिल के तहत किस कंपनी की हिस्सेदारी बेची जाएगी सरकार ने अभी यह तय नहीं किया है।
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बताते चलें कि पिछले साल मोदी कैबिनेट ने देश की तीन सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए कैपिटल सपॉर्ट का ऐलान किया था। कैबिनेट बैठक में नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को कैपिटल सपॉर्ट दिया गया था। इसके अलावा इन तीन इंश्योरेंस कंपनियों के लिए ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल को भी बढ़ाने का फैसला किया था। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी का ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल बढ़ाकर 7500 करोड़ कर दिया गया है। इसके अलावा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस का 5000-5000 करोड़ कर दिया गया है। बजट 2020 में सरकार ने तीनों इंश्योरेंस कंपनियों के मर्जर का भी ऐलान किया था। कैबिनेट ने इस फैसले को भी बदल दिया था।
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