खबर सच है संवाददाता
नैनीताल। एरीज कर्मचारी संघ का धरना एवं विरोध प्रदर्षन लगतार सातवें दिन भी जारी रहा। प्रदर्शन में विभिन्न अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के विरूद्ध अपनी असहमता दर्ज करते हुए पूर्व कार्मिक प्रशांत कुमार के मुद्दे को फिर से उठाया।
विदिति हो कि प्रशांत कुमार को 8 नवंबर 2021 को बिना पुनः ग्रहण अधिकार के अनुरूप कार्यमुक्त किया गया था, जबकि वर्तमान के निदेशक, एरीज (प्रो0 दीपांकर बनर्जी) स्वयं पांच वर्ष से निदेशक के पद पर इसी अनुरूप कार्यरत है, जो कि भारत सरकार डीओपीटी के नियमानुसार दो वर्ष से अधिक सम्बद्धता के विरुद्ध है। इसकी आपत्ति वि0 प्रौ0 वि0 भारत सरकार (डीएसटी के ऑडिट विंग) ने दर्ज किया है। निदेशक का यह कृत भेदभाव का दर्शता है। पूर्व महासचिव संजय सिंह ने बताया कि एरीज में विभिन्न भ्रष्टाचार /अनिमियता के बारे में तत्कालीन कैबिनेट मिनिस्टर डॉ हर्ष वर्धन भारत सरकार तथा सचिव डीएसटी, चेयरमैन गर्वनिंग काउंसिल एवं अन्य सदस्य को मेल के माध्यम से 23 जून को अवगत कराया गया था। इन अनिमियताओं में एक विशेष संस्थान से पीएचडी करने वालों को वैज्ञानिक के रूप भर्ती करना (जिसमें निदेशक महोदय के शोध छात्र भी शामिल है), स्लाडिंग (अनियमित रुप से पदोन्नति) पर कोई कारवाई न करना, एफसीएस(पदोन्नति का एक नीति) के तहत अनौपचारिक रूप से प्रोनन्ति आदि जिसको उपरोक्त व्यक्तियों को संघ द्वारा सूचित करने के बाद भी आज तक कोई कारवाई नही की गई। पूर्व अध्यक्ष नितिन पाल ने बताय कि एरीज में चल रही अनियमितताओं के बारे में एरीज प्रशासन को लगातार बताया जा रहा है, परन्तु एरीज प्रशासन ने कोई कारवाई नही की और पदोन्नति, भर्ती एवं संस्थान के अंदर होने वाले सभी कार्य में अनियमिताओ/भ्रष्टाचार को होने दिया जा रहा है। जिसका एरीज कर्मचारी संघ पूर्व से ही पूरजोर विरोध कर रहा है।