धर्म व परमात्मा का साथ किसी भी स्थिति में न छोड़ें  – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु  

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खबर सच है संवाददाता 
 
श्री हरि कृपा आश्रम में धूमधाम से मनाया गया रक्षाबंधन पर्व 
 
रामनगर। रक्षाबंधन के पावन पर्व पर आयोजित तीन दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन के आयोजन में उपस्थित हज़ारों भक्तों को संबोधित करते हुए प्रेमावतार, युगदृष्टा श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने कहा कि सदा सर्वदा धर्म का पालन करना चाहिए। धर्म व परमात्मा का साथ किसी भी स्थिति में न छोड़ें। धर्म हमें कर्म या कर्तव्य का त्याग करना नहीं सिखाता उसकी आसक्ति का त्याग करने का संदेश अवश्य देता है। जिससे कि व्यक्ति कर्म के बंधन से मुक्त हो जाए। लौकिक कर्तव्यों को पूर्ण करते हुए पारलौकिकता के मार्ग पर आगे बढ़ सके। इसमें धर्म लौकिकता व पारलौकिकता के बीच एक अनूठे सेतु (पुल) का कार्य करता है। कर्म, भक्ति व ज्ञान का सुन्दर समन्वय स्थापित करके धर्मशील प्राणी अपने जीवन को दिव्य, आदर्श व मर्यादित बना सकता है।
 
महाराज श्री ने कहा कि कर्म, भक्ति व ज्ञान के समन्वय का संदेश देती है भारतीय संस्कृति। कर्म ही पूजा है कहने की अपेक्षा कर्म भी पूजा बन सकता है। जिस कार्य के साथ विचार, विवेक या ज्ञान ना हो ऐसा हर कार्य पूजा कहलाने का अधिकारी नहीं हो सकता। बिना विचारे किया हुआ कर्म तो पश्चाताप ग्लानि  व शर्मिंदगी के अलावा कुछ भी प्रदान नहीं कर सकेगा। कर्म के साथ यदि ज्ञान व भक्ति का सुन्दर समन्वय स्थापित कर दिया जाए तो जहाँ एक ओर हमारा हर कर्म पूजा कहलाने का अधिकारी हो सकेगा वही हमारे जीवन का सौंदर्य निखर उठेगा। जिस सच्चे सुख आनंद से लाख प्रयास करने के बावजूद वंचित थे उसे प्राप्त करने के अधिकारी बन जाएंगे। हमारा जीवन उच्चता, दिव्यता व महानता से भर उठेगा। अत: श्रम व श्रद्धा का अनूठा संगम स्थापित करें। उन्होंने कहा कि संसार में कोई भी व्यक्ति रूप, धन कुल या जन्म से नहीं अपितु अपने कर्मों से महान बनता है।यदि कुल से महान होते तो रावण जैसा महान कौन होता, रूप से ही महान होते तो अष्टावक्र, भगवान गणेश जी, सुकरात जैसे व्यक्ति कभी महान न बन पाते। कई बार हो सकता है कि वर्तमान में किसी को देखकर लगे कि इसने तो कोई महान कर्म नहीं किये तो अवश्य पूर्व में किए होंगे। अतः हमें महानता के कार्य करने चाहिए तथा स्वयं को कभी महान नहीं समझना चाहिए। जीवन में विनम्रता, सरलता, सादगी व संयम को अपनाना चाहिए। कुछ ऐसा कार्य करना चाहिए कि संसार में लोग हमें याद ही नहीं बल्कि अच्छाई से सदैव याद रखें। बहुत से लोग मरकर भी ज़िंदा रहते हैं तथा बहुत से जीवित भी मृतक तुल्य जीवन जीते हैं किसी का तिरस्कार न करें। जो भी देखें, सुनें या पढ़ें उस पर विचार करें। किसी को भी नुकीले व्यंग बाण न चुभाएँ। अर्थात कुछ ऐसा न बोलें जिससे किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचे। किसी का दिल दुखें या प्रेम, एकता, सद्भाव नष्ट हो जाए, अशांति हो जाए, कलह क्लेश या वैमनस्य पैदा हो जाए। हमारे हृदय उदार व विशाल होने चाहिए। आज मनुष्य का मस्तिष्क विशाल तथा हृदय सिकुड़ता चला जा रहा है। अकड़ या अभिमान नहीं होना चाहिए। दुश्मन को हराने वाले से भी महान वे हैं जो उन्हें अपना बना लें। यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु,पदार्थ को पाना चाहता है उसके लिए प्रयास करता है और यदि थककर कर बीच में अपना विचार न बदल दे तो उसे अवश्य प्राप्त कर लेता है। जीवन की घटनाओं को यदि मंथन किया जाए तो हमेशा अमृत ही नहीं कभी विष भी मिलता है। सम्बंधों की मधुरता बनाये रखने के लिए विष को बाहर भी ना उगले, ह्दय में भी न ले जाएँ, कंठ में ही रख लें। ह्दय से प्रभु का सदैव स्मरण करते रहे, अंदर राम हो व ऊपर से विष भी आ जाए तो मिलकर विश्राम (विष राम) बनेगा। विष जीवन लेने वाला नहीं विश्राम देने वाला बनेगा। समाज में आज बहुत ही ज़हरीले नागों जैसे लोग भी हो गए हैं जो ऐसा ज़हर उगलते हैं कि स्वयं तो सुरक्षा के दायरे में चले जाते हैं लेकिन लोग आपस में लड़ते हैं, झगड़ते हैं। आज लोगों में सहनशक्ति का सर्वथा अभाव हो गया है। किसी को एक दूसरे की बात अच्छी नहीं लगती। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति पुरुषार्थ करें तो ईश्वर भी उसकी सहायता करता है सबसे महान व्यक्ति वह हैं जो दृढ़ निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। अपने धाराप्रवाह प्रवचनों से उन्होने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व ”श्री गुरु महाराज”, ”कामां के कन्हैया“ व लाठी वाले भैया की जय जयकार से गूंज उठा।
 
बताते चलें कि रक्षाबंधन के पावन पर्व पर श्री हरि कृपा आश्रम चित्रकूट रामनगर नैनीताल उतराखंड में विभिन्न स्थानों के हज़ारों भक्त व श्रद्धालु अपने प्यारे सदगुरूदेव भगवान लाठी वाले भैय्या के दर्शन, वचनामृत पान व रक्षा सूत्र बांध कर अपनी ही सुरक्षा का विश्वास व वचन पाने के लिए पहुँचे। लगातार गढीनेगी, काशीपुर व रामनगर प्रवास में भक्तों का ताँता लगा रहा। भक्तों के विशेष प्रेमपूर्ण आग्रह पर इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव 26 अगस्त को श्री महाराज जी गढीनेगी में ही मनायेंगे।
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TAGS: Do not leave religion and God under any circumstances - Sri Hari Chaitanya Mahaprabhu Rakshabandhan festival ramnagar news Sri Hari Chaitanya Mahaprabhu Sri Hari Kripa Ashram Ramnagar uttarakhand news

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