शहीदों की कुर्बानियों को व्यर्थ ना जाने दें- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

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गढीनेगी।  प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एंव विश्व विख्यात संत स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम विश्वबंधुत्व व विश्व के कल्याण की भावना रखते हैं परंतु उससे पूर्व अपनी जन्मभूमि इस भारत मां की समृद्धि व खुशहाली की कामना करते हैं। हम अपने प्रति दूसरों के द्वारा किए अपराधो को क्षमा कर सकते है परंतु अपनी भारत मां के प्रति, मानवता के प्रति किये अपराधों को कदापि क्षमा नही कर सकते।
 
महाराज श्री ने कहा कि समस्त विश्व संभावित भयानक युद्घ के यन्त्रणा काल से गुज़र रहा हैं। ऐसे में हम सभी राष्ट्रवासियों को समस्त प्रकार की संकीर्णताओं व मतभेदों को त्यागकर आपसी प्रेम, एकता व सद्भाव को बनाए रखना है। विश्व शांति के अग्रदूत हमारे प्यारे भारत वर्ष में आज अशांति दुर्भाग्यपूर्ण व चिंता का विषय है। हम अशांति के घटक ना बने, शांति का साम्राज्य स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे। यहाँ शांति होगी व यही से एक बार फिर से शांति का संदेश सारी दुनिया में भारत की पवित्र धरा से ही पहुँचेगा। राष्ट्र व समाज को विभिन्न आधारों पर तोड़ने व बाँटने की नीच कुत्सित व घृणित साजिशों को सफल नहीं होने देना है। हम सभी को आत्मअन्वेषण करना चाहिए कि राष्ट्र के उत्थान, विकास के लिए, आज़ादी को बरकरार रखने व शान्ति का साम्राज्य स्थापित करने में हमारा क्या योगदान है ? हम सभी राष्ट्रवासी ऐसा संकल्प लें कि शहीदों की कुर्बानियों को व्यर्थ न जाने दें। आज हर कोई अपने – अपने अधिकार के लिए तो बहुत जागरूक है, हमारा कोई विरोध नहीं परंतु हमारा कोई कर्तव्य भी है। परिवार, क्षेत्र, राष्ट्र और समाज के लिए उसे भी पहुँचाने का पालन करें।
 
उन्होंने कहा कि भारत फिर से जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित होगा। विभिन्न आक्रामक हमारे राष्ट्र से सोना, चाँदी, हीरे, जवाहरात, कोहिनूर व खज़ाने लूटकर ले गए लेकिन अध्यात्म ज्ञान अभी भी हमारे मनीषियों के मस्तिष्क में हैं, उसका व्यवसाय बनाकर नहीं निस्वार्थ भाव से चंद लोग भी एकजुट होकर प्रचार-प्रसार करने में जुट जाएँ तो भारत फिर से जगद्गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि धर्म विज्ञान सम्मत है, ढकोसला नहीं।लोगों ने अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए उसे ढकोसला बनाने का प्रयास किया है। धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं भी यदि कह दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। धर्म से विज्ञान दूर होने पर ही ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, रूढिवादिताओं को प्रवेश मिलता है तथा विज्ञान से भी धर्म दूर होने पर ही ऐसा धर्मविहीन विज्ञान विकास का नहीं विनाश का कारण बनता है।कथा, प्रवचन, योग, आयुर्वेद, चिकित्सा  व शिक्षा आदि का व्यवसायीकरण दुखद है। धर्म के अनुष्ठान ( कथा, प्रवचन, यज्ञ, तीर्थयात्रा आदि ) तो बढे़ हैं लेकिन आचरण अपेक्षाकृत उतना नहीं बढा। जबकि धर्म मात्र अनुष्ठान का नहीं अपितु आचरण का विषय हैं। मानवता, नैतिकता, चरित्र का निरंतर हो रहा ह्रास चिंता का विषय है इन सब से एक मात्र अध्यात्म ही हमें उबार सकता है। धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं, परंतु अफ़सोस होता है कि आज धर्म के नाम पर ही लोग बाँटने व तोड़ने की नीच घृणित साजिशें करते हैं और लोग टूटते और बट जाते हैं। मत, पंथ, संप्रदाय विभिन्न हो सकते हैं लेकिन धर्म एक ही है परमात्मा के नाम उपासना पद्धतियां उसको जानने व पाने के मार्ग अलग हो सकते हैं लेकिन परमात्मा एक ही हैं हम सब उसी की संतानें है । आपस में मिलजुल कर रहे! धर्म विज्ञान सम्मत है ढकोसला नहीं।धर्म से विज्ञान दूर होने पर ही ढोंग, पाखंड, आडंबर, अंधविश्वास, रूढिबादिताएँ व कुरीतियां पैदा होती है। संत का प्रमुख उद्देश्य कथनी व करनी का अंतर मिटाकर लोगों को सुसंस्कारित करके राष्ट्र और समाज का एक सुयोग्य नागरिक बनाना है। 
 
कहा कि हम उन वीर अमर शहीदों को श्रद्धा पूर्वक नमन करते हैं जिन्होंने पहले या अभी वर्तमान में भारत माता की रक्षा में अपने प्राणों तक की आहुति दे दी। तथा समस्त देशवासियों व खासतौर से देश की समस्या का समाधान ढूंढने की बजाय उनका राजनीतिकरण करने वाले समस्त राजनेताओं से अनुरोध करते हैं कि वे इस भारत माता के सच्चे जवान सपूतो के बलिदानों को व्यर्थ ना जाने दें।
 
सारा वातावरण श्री गुरू महाराज की जय । “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैय्या “ की जय जयकार से गूंज उठा। श्री महाराज जी के पावन सानिध्य में आज स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया । प्रातः 9 बजे श्री महाराज जी ने ध्वजारोहण करके सभी को बहुत बहुत हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ व शुभ आशीर्वाद देने के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व वीर अमर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री महाराज जी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया। दिव्य प्रवचन व राष्ट्र भक्ति गीतों के साथ साथ भारत की समृद्धि व ख़ुशहाली के लिए श्री महाराज जी ने प्रार्थना की। श्री महाराज जी ने स्वतंत्रता संग्राम सैनानी परिवारों के साथ रूद्रपुर के वशिष्ट जी का सम्मान किया। श्री महाराज जी के दर्शनों व दिव्य अमृत वचनों को सुनने के लिए दिनभर भक्तों का ताँता लगा रहा। मिठाई वितरण व भण्डारे का प्रसाद हज़ारों लोगों ने ग्रहण किया।

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