खबर सच है संवाददाता
देहरादून। एआईसीसी के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज देहरादून पहुंच कर प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि हजारों-लाखों सैनिक व सेना के अफसर देने के कारण उत्तराखंड वीरों के शौर्य से सुशोभित है।
सूरजेवाला ने कहा कि अपने लहू से भारत की संप्रभुता और सीमाओं का सौभाग्य लिखने वाले भारत माँ की तीनों सेनाओं व अर्द्धसैनिक बलों के सपूतों को शत्-शत् नमन। उत्तराखंड की देवभूमि के रणबांकुरों के पराक्रम और शौर्य की गाथा तो इतिहास के पन्नों पर अंकित है। विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरवान सिंह नेगी व गब्बर सिंह नेगी हों, महावीर चक्र विजेता रायफलमैन जसवंत सिंह रावत व राजेश सिंह अधिकारी हो, नौसेना प्रमुख एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी हों, देश के पहले CDS व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत हों, देश के एक और सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी हो, मेज चित्रेश विष्ट व मेजर विभूति शंकर डोंडियाल हो जब भी हम अपनी सेनाओं को इन वीरों को याद करते हैं, तब-तब हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है। मगर मोदी सरकार और भाजपा एक तरफ तो सेना की कुर्बानी और शौर्य का इस्तेमाल अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं, और दूसरी ओर सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात करते हैं। 13 दिसंबर 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि तीनों सेनाओं में 1.22.555 पद खाली पड़े हैं। जिसमें से लगभग 10,000 पद सैन्य अधिकारियों के हैं।भाजपा ने OROP पर 30 लाख पूर्व सैनिकों से धोखा करते हुए वन रैंक वन पेंशन की बात तो कही लेकिन दिया वन रैंक पाँच पेंशन। जबकि कांग्रेस सरकार ने सन 2004 से 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन बढ़ाई, जिससे उन्हें ₹7000 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ। 17 फरवरी 2014 को कांग्रेस सरकार ने आदेश जारी कर 01 अप्रैल 2014 से OROP को मंजूर किया। इसमें तय किया एक समान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन दी जाए, फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख अलग-अलग क्यों न हो, और भविष्य में पेंशनवृद्धि का लाभ भी पुराने पेंशनधारकों को मिले। लेकिन कांग्रेस सरकार का 17 फरवरी 2014 का OROP का आदेश नकारते हुए मोदी सरकार ने 07 नवम्बर 2015 को नया आदेश निकाल सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से OROP पूरी तरह से छीन लिया। आदेश में कहा कि इन तीन सेनाओं में 01 जुलाई 2014 के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैन्य कर्मियों को वन रँक वन पेंशन नही मिलेगा। सेना के अधिकतर जवान 17-18 साल की सेवा के बाद 40 साल की आयु तक रिटायर हो जाते हैं। OROF का लाभ उनको नहीं मिलेगा। क्या यह सच नहीं कि सेनाओं के 85 प्रतिशत कर्मी 38 साल की उम्र तक रिटायर हो जाते हैं और 10 प्रतिशत 46 वर्ष की आयु तक (Para 9 (ii) कोशियारी कमिटी रिपोर्ट)। मोदी सरकार ने 30 लाख सैनिकों की पेंशन को हर साल रिवाईज करने की मांग को भी नकारकर इस समय अवधि को 5 साल कर दिया OROP को वन रैंक वन पेंशन की बजाय वन रैंक पाँच पेंशन बना दिया। पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजना (ECHS) सुविधाओं पर आघात करते हुए मौजूदा साल 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों का ECHS बजट ₹1990 करोड़ काट लिया।
इस दौरान सुरजेवाला के साथ प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव बल्लभ, पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश भी मौजुद रहे।