खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी। बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में शुक्रवार (आज) परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के नेतृत्व में बुद्ध पार्क हल्द्वानी में सभा, धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही तिकोनिया से रोडवेज, कालाढूंगी चौराहे से होते हुए अम्बेडकर पार्क मंगलपड़ाव तक आक्रोश रैली आयोजित की गई। इससे पूर्व शहर के अलग-अलग इलाकों में पिछले 20 मई से पर्चा भी वितरित किया गया।
इस दौरान पछास के महासचिव महेश ने कहा कि एक तरफ तो मोदी जी हर वर्ष 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने का वायदा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकारी पदों को समाप्त किया जा रहा है। पूरे देश भर में 60 लाख से अधिक सरकारी पद रिक्त पड़े हैं। मोदी सरकार आज निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों को आगे बढ़ा रही है। मौद्रिककरण-विनिवेशीकरणके नाम पर सरकारी संस्थानों, निगमों को पूंजीपति वर्ग के हवाले किया जा रहा है। जनता के पैसे से खड़े किए गए संस्थान आज कौड़ियों के दाम बेचे जा रहे हैं। हम छात्र-नौजवानों, बेरोजगारों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इन समस्याओं के खिलाफ आज छात्र-नौजवानों को संघर्ष करने की जरूरत हैं। प्रमएके की रजनी ने कहाँ कि सरकारी संस्थानों में भी भोजनमाताओं से 3000 रुपये में बेगारी करवाई जा रही हैं। आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से काफी कम पैसे में काम लिया जा रहा है। इंटरार्क श्रमिक संगठन के देवेन्द्र बिष्ट ने कहाँ कि कंपनियों सहित तमाम जगहों में ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। श्रम अधिकार खतम किये जा रहे हैं।आइसा के धीरज कुमार ने कहां कि छात्रों-नौजवानों, बेरोजगारों को रोजगार नहीं देकर सरकारें उनके अधिकारों का हनन कर रही हैं। पछास की रुपाली ने कहाँ कि सबको उनकी योग्यतानुसार रोजगार दिया जाए। हर नौजवान बेहतर भविष्य के लिए अपने जीवन में रोजगार की तलाश में होता हैं। योग्यतानुसार रोजगार नहीं देने तक 10,000 प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। क्रालोस के मोहन ने कहाँ कि बेरोजगारी की वजह से नशाखोरी, चोरी-चकारी बढ़ रही है। आज समाज के अंदर में बेरोजगारी से आत्महत्या करने वाले नौजवानों की तादाद बढ़ चुकी है। इन सब की जिम्मेदार आज की सरकारें हैं। सभा का संचालन करते हुए पछास के चंदन ने कहा कि समाज में युवाओं के लिए पढ़ने-लिखने के बाद पहला विषय बनता है कि वह रोजगार करें। कोई भी छात्र पढ़ने लिखने के बाद रोजगार की तलाश में होता है। लेकिन समस्या तो तब शुरू होती है जब उसे रोजगार नहीं मिलता। आज उत्तराखंड में 56,944 पद सरकारी विभागों में रिक्त पड़े हैं। कोरोना काल के नाम पर विगत 2 वर्षों में कोई नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। जिससे बेरोजगारों की संख्या में और अधिक इजाफा ही हुआ है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रिक्त पदों को भरने की जगह बचे-खुचे सरकारी पदों को भी समाप्त करने की बात कर रहे हैं। यह सरकारों द्वारा नौजवानों के साथ में भद्दा मजाक है।
इस दौरान कार्यक्रम में महेश चन्द्र, चंदन, देवेंद्र, धीरज, आदेश, पिंकी, रुपाली, मनोज जोशी, सविता कुमारी, अनुराग, शाहजेब, अनिशेख, कैलाश पांडेय, दिनेश, प्रकाश पांडेय, बालम सिंह, उमेश पाण्डेय, विपिन, रजनी, मोहन मटियाली, टीका राम पांडेय, रियासत सहित अनेक साथी मौजूद थे।