
खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी। शनिवार को कालूसिद्ध मंदिर में आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान मामला उस वक्त गरमा गया जब एसएसपी नैनीताल प्रहलाद मीणा ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष आनंद दरम्वाल और पार्षद राजेंद्र अग्रवाल उर्फ मुन्ना को रस्सी के बाहर रोक दिया गया। दोनों नेता सड़क किनारे खड़े रह गए, जबकि मुख्यमंत्री के साथ कई पार्टी कार्यकर्ता अंदर प्रवेश कर गए। जब वरिष्ठ भाजपा नेता चंदन सिंह बिष्ट ने एसएसपी से हस्तक्षेप करते हुए निवेदन किया तो एसएसपी ने अजीबो गरीब लहजे में जवाब दिया, “पार्षद हो या मेयर, कोई फर्क नहीं पड़ता।” यही वाक्य चिंगारी बन गया। इस बीच चंदन बिष्ट भावुक हो गए। एक वरिष्ठ नेता को इस तरह भावुक होते देख भाजपा कार्यकर्ताओं में माहौल पूरी तरह गरमा गया।
दर्जा मंत्री रेनू अधिकारी ने भी पुलिस पर सीधा हमला बोला और कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को बार-बार जानबूझकर अपमानित किया जाता है। जबकि दर्जा मंत्री शंकर कोरंगा ने बीच बचाव करते हुए मामले को शांत करने का प्रयास किया। हालात बिगड़ते देख सीएम पुष्कर सिंह धामी को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने अधिकारियों के रवैये पर संज्ञान लेने का आश्वासन दिया।
बहरहाल पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार में उसी की पार्टी के जन प्रतिनिधियों को इस तरह रस्सी के बाहर खड़ा कर देना जहां जन प्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा को दांव में लगाती है वहीं इस तरह का व्यवहार पार्टी के भीतर भी कई सवाल खड़े करता है। क्या नये चेहरे आते ही पुरानो का वजन कम हो गया या फिर पुलिस के आला अधिकारियों को सीमा उल्लंघन की खुली छूट मिल गईं।


