दस दिवसीय विराट धर्म सम्मेलन में महाराज श्री के दर्शन को उमड़ा भक्तों का अपार जन सैलाब 

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खबर सच है संवाददाता

रामनगर। संसार के सभी जीव मोहरूपी रात्रि में सोए हुए हैं। मोह नींद में सोए उन जीवों को जगाने ही आते हैं सभी संत, महापुरुष यहाँ तक कि परमात्मा भी, यह उदगार रविवार को श्री हरिकृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने श्री हरिकृपा आश्रम में विशाल समुदाय को संबोधित करते हुए कहे। महाराज श्री ने कहा कि इस संसार रूपी रात्रि में मात्र परमार्थी व प्रपंच से वियोगी लोग ही जागते हैं। जीव को जगा हुआ तभी जानना चाहिए जबकि उसे सभी विषयों व विलासताओं से वैराग्य हो जाए, उठो, जागो व अपने लक्ष्य की ओर बिना रुके तब तक चलते रहो जब तक कि तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, शास्त्रों का भी यही उद्घोष है। व्यक्ति  जन्म ,रूप, कुल, वैभव आदि से नहीं अपितु अपने कर्मों से महान बनता है।

उन्होंने अपने दिव्य प्रवचनों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सुमति व कुमति हर प्राणी के अंदर सदैव रहती है। कब कौन सी बुद्धि उजागर हो जाए कोई कुछ कह नहीं सकता। हाँ अच्छे संग से सुमति व बुरे संग से कुमति ही उत्पन्न होगी। तथा जहाँ सुमति होगी वहाँ सुख, सम्पत्ति तथा जहाँ कुमति होती है वहाँ दुःख व विपत्तियां मंडराने लगती है। जब हितैषी शत्रुवत तथा शत्रु मित्रवत लगने लगे तो समझ लो कि कुमति उजागर हो रही है। जो की विनाश का कारण बनेगी। अत: कुमति को त्यागकर सुमति के पथ का ही अनुसरण करना चाहिए।

महाराज श्री ने कहा कि प्रकृति हमारी जन्मदात्री माँ से भी अधिक रक्षक है। परन्तु इसी प्रकृति माँ को विकृत करने की, छेड़छाड़ करने की या इसके नियमों की अवहेलना करने पर भक्षक भी बन जाती है। भूकंप, बाढ़, सूखा इत्यादि प्राकृतिक आपदाएँ उसी परिणाम स्वरूप समाज में विनाश का कारण बनती हैं। अतः प्रकृति को विकृत होने से बचाएँ, छेड़-छाड़ ना करें, पृथ्वी माँ के श्रृंगार वन व वन्य जीवों को समाप्त होने से बचायें। धर्म व प्रकृति के नियमों का पालन करें।

ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, रूढिवादोंताओं पर महाराज श्री ने तीखा प्रहार किया। आज वास्तु शास्त्र के बढ़ते प्रचलन के बारे में कहा कि लोग वस्तुओं के अनुसार तोड़ फोड़ कर मकान की दिशा बदल रहे हैं। लाभ तो स्वयं को बदलने से ही होगा। भाग्य-भाग्य का रोना रोने से कुछ नहीं होने वाला। अनेक अंगूठियां व नग पहनने व वार, दिशा के हिसाब से करने मात्र से कुछ नहीं होता। सही दिशा में प्रयास, ह्रदय में परमात्मा का स्मरण, यथासंभव सभी की शुभकामनाएं व शुभ आशीर्वाद कार्यों के प्रति लगन निष्ठा व उत्साह सफलता में सहायक होंगे।

महाराज श्री के दिव्य ओजस्वी प्रवचनों को सुनकर सभी भक्त मंत्रमुग्ध व भाव विभोर हो गये व महाराज जी के द्वारा गाए गए भजनों को सुनकर, उनकी प्रेममय सुंदर छटा को देखकर वहाँ उपस्थित भक्तों की प्रेमवश अश्रुधारा बह उठी। महाराज श्री के दिव्य प्रवचनों को सुनने के लिए स्थानीय, क्षेत्रीय व दूर दराज से काफ़ी संख्या में भक्तजन यहाँ पहुँच रहे हैं। 

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श्री दिव्येश्वर महादेव मंदिर, श्री हरि कृपा आश्रम में लगातार भक्तों का ताँता लगा रहा । नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष में नित्य प्रातः 7 बजे से 8:00 बजे तक व सायं  6:00 से 7:00 बजे तक मां जगदंबा की भव्य पूजा अर्चना का धार्मिक विधि विधान से आयोजन किया जाता है। श्री महाराज जी के दिव्य व प्रेरणादायी प्रवचन नित्य सांय 4 बजे से हो रहे हैं । महाराज श्री द्वारा दिए जाने वाले दिव्य प्रवचन सुनने के लिए व श्री महाराज जी द्वारा की जाने वाली विशेष आरती के दिव्य दर्शनों के लिए भगतजन नित्य ही दूर दूर से भारी मात्रा में पहुँच रहे है। जिसमें लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।

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TAGS: huge crowd of devotees gathered for the darshan of Maharaj Shri In the ten-day Virat Dharma Sammelan Uttrakhand news

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