खबर सच है संवाददाता
काशीपुर। श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य महाप्रभु ने प्रेमनगर कॉलोनी में भक्तो को संबोधित करते हुए कहा कि भारत फिर से जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित होगा। विभिन्न आक्रामक हमारे राष्ट्र से सोना,चाँदी,हीरे, जवाहरात,कोहिनूर व खज़ाने लूटकर ले गए लेकिन अध्यात्म ज्ञान अभी भी हमारे मनीषियों के मस्तिष्क में हैं उसका व्यवसाय बनाकर नहीं निस्वार्थ भाव से चंद लोग भी एकजुट होकर प्रचार प्रसार करने में जुट जाएँ तो भारत फिर से जगद्गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि धर्म विज्ञान सम्मत है, ढकोसला नहीं। लोगों ने अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए उसे ढकोसला बनाने का प्रयास किया है। धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं भी यदि कह दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। धर्म से विज्ञान दूर होने पर ही ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, रूढिवादिताओं को प्रवेश मिलता है, तथा विज्ञान से भी धर्म दूर होने पर ही ऐसा धर्मविहीन विज्ञान विकास का नहीं विनाश का कारण बनता है।
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज युद्ध की संभावनाओं के यंत्रणा काल से गुज़र रहा है हम सभी समस्त प्रकार की संकीर्णताओं और मतभेदों को त्यागकर आपसी प्रेम एकता सद्भाव व सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखें !विश्व शांति के अग्रदूत हमारे प्यारे भारत वर्ष में आज अशांति दुर्भाग्यपूर्ण व चिंता का विषय है। हम अशांति के घटक ना बने,शांति का साम्राज्य स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे ,यहाँ शांति होगी व यही से एक बार फिर से शांति का संदेश सारी दुनिया में भारत की पवित्र धरा से ही पहुँचेगा।
जगद्गुरु रहा है हमारा प्यारा भारत। आज कमियां भारत में नहीं हम भारतवासियों में आयी है। विचारपूर्वक उन्हें दूर करें भारत फिर से जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित होगा। पड़ोसी राष्ट्र को उन्होनें चेतावनी देते हुए कहा कि पाक को अपने नापाक़ इरादे बदलने चाहिए। भारत को आतंक के साये में पिछले कई दशक से अघोषित युद्ध की स्थिति में झोंक रखा है। आए दिन होने वाली घुसपैठ आतंकवादी हमले आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप चलाकर सैनिकों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार करके अमानवीयता की सारी हदें तोड़ रखी है। इन नापाक़ हरकतों से बाज़ आएँ वरना हमेशा की तरह मुँह की खानी पड़ेगी। चीन को भी आगाह करते हुए कहा है कि यह भारत वर्ष तब का भारत वर्ष नहीं आज हमारी सैन्य शक्ति दुनिया में बहुत मज़बूत है हमने कभी युद्ध नहीं चाहा हम पर हमेशा युद्ध थोपे गए भारत सर्वे भवन्तु सुखिनः व विश्व बंधुत्व का भाव रखता है पृथ्वी ही नहीं संपूर्ण ब्रह्माण्ड में शांति चाहता है।
भारत जैसे पवित्र राष्ट्र में जहाँ श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसे अवतारों ने गाय की सेवा व पूजा करके महिमा प्रतिष्ठापित की हो, वहाँ गायों की दुर्दशा व गौ हत्या शर्मनाक है, जिस पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिये। जिस देश में वर्ष में दो बार नवरात्रि व विभिन्न मांगलिक अवसरों पर कन्या पूजन किया जाता हो, वहाँ कन्या भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध निंदनीय व शर्मनाक है। घटता हुआ लिंग अनुपात भविष्य के लिए चिंता का विषय है व कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध कठोर क़ानून बनने चाहिए तथा समाज में जागृति पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा आज लोग अधिकारों के लिए जागरूक हुए है अच्छी बात है लेकिन राष्ट्र व समाज के लिए अपने कर्तव्यों को भी पहचानें व पालन करें, तो और भी अच्छा होगा ! समाज की विभिन्न जटिलतम समस्याओं का राजनीतिकरण न करके आपसी प्रेम मेलजोल व सौहार्दपूर्ण वातावरण में सुलझाने का प्रयास करें। कथा ,प्रवचन ,योग ,आयुर्वेद, चिकित्सा व शिक्षा आदि का व्यवसायीकरण दुखद है। धर्म के अनुष्ठान(कथा ,प्रवचन ,यज्ञ ,तीर्थयात्रा आदि ) तो बढे़ हैं लेकिन आचरण अपेक्षाकृत उतना नहीं बढा। जबकि धर्म मात्र अनुष्ठान का नहीं अपितु आचरण का विषय हैं।
जीवन का अभिन्न अंग बन जाए धर्म, हर क्रिया कलाप में उतर जाए धर्म, तो समाज में व्याप्त कुरीतियां,बुराइयाँ और विकृतियाँ हमारे जीवन में प्रवेश नहीं कर पाएंगी। मानवता, नैतिकता, चरित्र का निरंतर हो रहा ह्रास चिंता का विषय है इन सब से एक मात्र अध्यात्म ही हमें उबार सकता है। धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं, परंतु अफ़सोस होता है कि आज धर्म के नाम पर ही लोग बाँटने व तोड़ने की नीच घृणित साजिशें करते हैं और लोग टूटते और बट जाते हैं! मत, पंथ,संप्रदाय विभिन्न हो सकते हैं लेकिन धर्म एक ही है परमात्मा के नाम उपासना पद्धतियां उसको जानने व पाने के मार्ग अलग हो सकते हैं लेकिन परमात्मा एक ही हैं हम सब उसी की संतानें है। आपस में मिलजुल कर रहे! धर्म विज्ञान सम्मत है ढकोसला नहीं। धर्म से विज्ञान दूर होने पर ही ढोंग, पाखंड, आडंबर, अंधविश्वास, रूढिबादिताएँ व कुरीतियां पैदा होती है। संत का प्रमुख उद्देश्य कथनी व करनी का अंतर मिटाकर लोगों को सुसंस्कारित करके राष्ट्र और समाज का एक सुयोग्य नागरिक बनाना है।
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श्री महाराज जी 1 अक्तूबर को प्रात 9 से 9:30 चित्रकूट रामनगर एवं 11 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक आदर्श नगर हल्द्वानी, 2 अक्तूबर किच्छा, बरेली, 3 अक्तूबर फतेहगंज, रामपुर, मुरादाबाद, नूरपुर व नहटौर, मोचीपुरा, नगीना व धामपुर शेरकोट (उ०प्र०) एवं 7 से 15 अक्तूबर तक श्री हरि कृपा आश्रम चित्रकूट रामनगर नैनीताल उतराखंड में भक्तों को दर्शन देंगे।
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संत का बहुत ऊँचा व महान पद है लेकिन राजनीति में सक्रिय होकर पदलोलुप बनकर राज्य सत्ता में भागीदारी की कोशिश करके तथा कथित संत अपने पद व गरिमा को स्वयं कम करते हैं। कथनी व करने के अंतर ने उपदेशकों व उनके उपदेशों को उपहास का पात्र बना कर रख दिया है शंकराचार्यों की पद से ज़्यादा दावेदारी एक दूसरे के विरुद्ध बयानबाज़ी व मुकदमेबाजी अच्छी छवि प्रस्तुत नहीं कर रही। आतंकवाद आज विश्वव्यापी समस्या बन चुका है विश्व के समस्त देशों को एक जुट होकर आंतकवाद को समाप्त करने का सामूहिक प्रयास करना होगा। आतंकवाद व आतंकवादी का कोई धर्म व ईमान नहीं होता, वो शैतान है, हैवान है उनकी कठोर शब्दों में निंदा की जानी चाहिये व कठोर से कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए।
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