खबर सच है संवाददाता
हल्द्वानी। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय लोग कई बार कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते जिसके कारण न तो उन्हें रिफंड मिल पाता है और ना ही आईटीआर को वैलिड ही माना जाता है। जिसकी जानकारी देते हुए शहर के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट सरोज आनंद जोशी ने बताया कि आईटीआर भरते समय किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
यदि आप अपनी आईटीआर फाइल करवा रहे हैं तो इस वर्ष कुछ नई बातों का ध्यान अवश्य रखें। आईटीआर को फाइनल करने से पहले एआईएस (AIS) यानि ‘व्यापक वार्षिक सूचना विवरण’ (ऐन्यूअल इनफार्मेशन स्टैट्मन्ट) से मिलान करना अनिवार्य है। ये व्यापक सूचना आयकर विभाग के पोर्टल मेँ बैंक खाते के लेन-देनों, शेयर बाजार के लेन-देनों, विनियोगों, क्रेडिट कार्ड जैसे 46 वित्तीय लेनदेनों की सूचना है और इसकी संक्षिप्त सूचना सारांश टीआईएस है, करदाता द्वारा सूचना सारांश से क्रॉस चेक करना अनिवार्य है। पहले केवल 26 एएस का मिलान करना होता था पर अब एआईएस, टीआईएस से मिलान करना भी जरूरी है। यदि आपकी सूचना और एआईएस/ टीआईएस मे कोई अंतर प्रतीत हो तो कृपया संबंधित विभाग से स्पष्टीकरण जरूर लें। जैसे बैंक ने आपका ब्याज कुछ लगाया है और एआईएस मे इससे अधिक हो तो उसका समाधान बैंक विवरण के साथ जरूर कर लें। यदी एआईएस/ टीआईएस में कोई ऐसी सूचना आ रही हैं जो आपके हिसाब से सही नहीं है तो उसे संबंधित विभाग को ठीक करने को कहें। यहाँ संबंधित विभाग का आशय बैंक, शेयर बाजार के डीमेट खाते, जीएसटी विभाग, भूमि लेंनदेन से संबंध मे राजस्व विभाग आदि से है। यदि फिर भी कोई मिलान नहीं हो पाए तो फिर आयकर विभाग के पोर्टल के गवरनेंस के तहत दाखिल करके स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।
कभी भी ये गलती न करें :
अधिक विनियोग, अधिक छूट, अधिक कटौतियाँ, रिबेट नहीं लें, जिसके आप हकदार नहीं हैं। जैसे बीमा पॉलिसी का लाभ जो वास्तव मे नहीं है, स्कूल की फीस बढ़ा चढ़ाकर लाभ लेना, स्वास्थ्य बीमा या दान पुण्य बढ़ा कर दिखाना ये सब अब आसानी से पकड़ मे आ जाता है। ऐसी टैक्स चोरी आयकर अधिनियमों के अनुसार दंडनीय अपराध हैं। रिफन्ड के लालच मे अधिक विनियोग, छूट, कटौतियाँ आपको कानूनी परेशानी मेँ डाल सकती हैं ऐसा कदापि न करें।
अच्छे कर-सलाहकार से सलाह हैं लें जो आपको टैक्स चोरी नहीं बल्कि सही कर निर्धारण मे मदद करें।