खबर सच है संवाददाता
“चित भी मेरी और पट भी मेरी” बस ऐसा ही कुछ चलते हुए लंबी चली चिंतन-मनन सभा में अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका। दोनों ही गुटो से दावेदार सिर्फ क्षत्रिय फिर भी तलवार, म्यान में नहीं आ पा रही।
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गौरतलब हो कि नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा के दुनिया को अलविदा कहने के बाद वर्तमान में हरीश रावत और प्रीतम सिंह गुट ही एक्टिव रह गए है। लिहाजा यहां अभी ब्राह्मण- क्षत्रिय की राजनीती से अलग सिर्फ और सिर्फ ठाकुर साहबों की ही तलवार मैदान में है। कांग्रेस के विधायकों में कोई भी ब्राह्मण विधायक ऐसा नहीं है जिसे नेता विपक्ष का पद दिया जाए। ऐसे में नेता विपक्ष ही नहीं वरन अध्यक्ष भी किसी ठाकुर विधायक का बनना तय है। बावजूद तलवारो की धार कम होने का नाम नहीं ले रही।
उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव को अब कुछ ही माह शेष हैं लेकिन उससे पहले अभी तक कांग्रेस की ओर से नेता विपक्ष और प्रदेशाध्यक्ष के नाम की घोषणा ‘बीरबल की खिचड़ी’ सी हो गई है। कौन होगा नेता प्रतिपक्ष और किसके सर पर सजेगा अध्यक्ष का ताज, इस इंतजार में बुधवार का दिन भी निकल गया लेकिन हाईकमान की ओर से कोई फैसला सुनाना मुश्किल ही नहीं, बहुत बेचिदा हो गया है।
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