खबर सच है संवाददाता
देहरादून: माइग्रेटरी बर्ड ऐसे नहीं आती है और यह सारा खेल खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा करने से आसपास के क्षेत्रों में वन्य जंतुओ का जीवन प्रभावित होगा। कुल मिलाकर यह पूरा मामला नेता, अफसर और खनन माफियाओं का गठजोड़ प्रतीत हो रहा है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी ने नैनीताल जिले के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का आदेश को लेकर कही।
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https://khabarsachhai.com/2021/06/24/stones-were-pelted-on-the-team-that-went-to-remove-the-idol-the-police-took-sticks/बताते चले कि त्रिवेंद्र रावत सरकार द्वारा अगस्त 2020 में बैलपड़ाव और बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व (प्रवासी पक्षियों के लिए झील) का निर्माण किये जाने के कार्य का शासनादेश जारी किया था। जिसके बाद सांसद मेनका गांधी ने 26 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा कि क्या इन दोनों स्थानों (बैलपड़ाव और बाजपुर) पर माइग्रेटेड पक्षियों का आना जाना है? यदि आते हैं तो कौन कौन से माइग्रेटड पक्षी यहां आते हैं? कृत्रिम जल निकाय बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होने में सालों लग जाते हैं, जिन स्थानों पर माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का फैसला लिया गया है वो खनन माफियाओं द्वारा तैयार कराया गया है।
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मेनका के इस पत्र का उस वक्त तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और न ही शासनादेश वापस हुआ। लेकिन अब पुनः मेनका द्वारा तीरथ सरकार को भेजे पत्र से सियासी गलियारों के साथ अधिकारियों एवं माफियाओं में भी हलचल शुरू हो गई है।
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