खबर सच है संवाददाता
कोरोना संक्रमण के चलते निजी वाहनों के संचालको के सामने डीजल का खर्चा भी नहीं उठा पाने की स्थिति में वाहन कारोबारी वाहन सरेंडर करने लगे हैं, ताकि उनको टैक्स नहीं देना पड़े। लेकिन
उत्तराखंड में कोरोनावायरस संक्रमण का असर कम होते ही अब अच्छी खबर आने वाली है। उत्तराखंड बस ऑपरेटर्स महासंघ द्वारा शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से सफल बातचीत के बाद राज्य सरकार शीघ्र ही पहाडी क्षेत्रों में निजी बसों का संचालन शुरू करने की तैयारी में हैं।
यह भी पड़े।
बताते चलें कि कर्फ्यू के बाद से निजी बस का संचालन पूर्णतः बंद ही हो गया है। निजी बसों के मालिक 50 फ़ीसदी यात्री क्षमता से बस के संचालन में असमर्थता जता रहे थे। उनका कहना था कि वह 50 फ़ीसदी यात्री क्षमता के साथ बसों का संचालन पर किराया भी दोगुना लिए जाने की छूट होनी चाहिए, अन्यथा डीजल तक का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है। जिस पर सरकार ने मना कर दिया था। इसके बाद से गढ़वाल और कुमाऊं में निजी बसों का संचालन ठप हो गया। कई बार सरकार से बातचीत हुई लेकिन सफलता नहीं मिली।
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अब बस ऑपरेटर्स महासंघ ने शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से मुलाकात की। उन्होंने यह प्रस्ताव रखा कि 50 के बजाय 75 फ़ीसदी यात्री क्षमता रहे और रोडवेज बसों जितना किराया वसूला जाए। वार्ता के बाद सरकार इस बात पर राजी हो गई है कि निजी बस ऑपरेटर 85 फ़ीसदी सवारिया बस में ले जाएंगे और डेढ़ गुना किराया वसूल करेंगे। मंत्री सुबोध उनियाल पहले ही बता चुके हैं कि इस बारे में शुक्रवार को शासनादेश जारी हो जाएगा। शासनादेश जारी होते ही उत्तराखंड में बसों का संचालन फिर से शुरू हो जाएगा।
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